श्रीराम ने धर्मशील राजधर्म का पालन किया, राम ने अपने जीवन काल में अपनी प्रत्येक भूमिका का निर्वाह श्रेष्ठतापूर्वक किया -विजय कौशल महाराज।

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। मंगलमय परिवार हरिद्वार एवं अन्य सामाजिक सहयोगी संस्थाओं द्वारा रविवार देर शाम वर्तमान परिदृश्य और मानव उत्थान में मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की प्रासंगिकता जैसे महत्त्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का आयोजन पं. मदन मोहन मालवीय सभागार ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज में किया गया।

गोष्ठी में मुख्य वक्ता श्रीराम कथा वाचक पूज्य संत विजय कौशल महाराज ने कहा कि भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम के व्यक्तित्व से भारतीय जनता भलिभाँति परिचित है। राम का नाम सुनते ही हमारे मानसपटल पर एक मर्यादा पुरूषोत्तम व्यक्ति की छवि अंकित होती है। श्रीराम का चरित्र आदर्शवादी है, जिनसे संसार का प्रत्येक व्यक्ति प्रेरणा लेता है। उन्होंने कहा कि राम ने अपने जीवन काल में अपनी प्रत्येक भूमिका का निर्वाह श्रेष्ठतापूर्वक किया-गुरु सेवा, शरणागत की रक्षा, जाति-पाँति का भेद मिटाना हो या भ्रातृ-प्रेम, मातृ-पितृ भक्ति, एक पत्नी व्रत, भक्त वत्सलता, कर्तव्यनिष्ठता, आदि चरित्र के महान रूप हमारे समक्ष श्रीराम ने प्रस्तुत किए। श्रीराम ने धर्मशील राजधर्म का पालन किया, राम राज्य दिव्य परम व्यवस्था का नाम है। जो दुश्मनों का भी कल्याण सोचे और जिसके प्रति दुश्मन भी आदर का भाव रखता हो वह राम हैं।

महाराज ने कहा कि अयोध्या के राजकुमार होते हुए भी राम अपने पिता के वचनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण वैभव को त्याग कर चौदह वर्षों के लिए वन चले गए। उन्होंने अपने जीवन में धर्म की रक्षा करते हुए अपने हर वचन को पूर्ण किया। राम के चरित्र में पग-पग पर मर्यादा, त्याग, प्रेम और लोकव्यवहार के दर्शन होते हैं। राम ने साक्षात परमात्मा होकर भी मानव जाति को मानवता का संदेश दिया। भगवान राम के आदर्शों का जनमानस पर इतना गहरा प्रभाव है और युगों-युगों तक रहेगा। संसार की प्रत्येक माता अपने पुत्र में राम को देखना चाहती है। उन्होंने कहा कि आज भी हर पार्टी का नेता यही घोषणा करता है कि अगर हम सत्ता में आयेंगे तो राम राज्य की स्थापना करेंगे। भगवान राम ने शपथ का अक्षरशः पालन किया लेकिन आज जो शपथ होती है उसका एक अक्षर भी पालन नहीं होता है। उन्होंने कहा कि दूसरे का वेष धारण करना सरल है लेकिन आचरण उतारना बहुत कठिन है।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल ने कहा कि राम का जन्म राज्य भोगने के लिए नहीं बल्कि जगत के मंगल के लिए हुआ है। श्रीराम ने मानव मात्र को जीने की व्यवस्था सिखाई है जिसका चरित्र उत्तम होता है वही संसार में पूजनीय होता है। उन्होंने कहा कि प्रभु राम की सभी चेष्टाएं धर्म, ज्ञान, नीति, शिक्षा, गुण, प्रभाव एवं रहस्य से भरी हुई हैं। उनका व्यवहार देवता, ऋषि, मुनि, मनुष्य, पक्षी, पशु आदि सभी के साथ ही प्रशंसनीय, अलौकिक और अतुलनीय है। इस अवसर पर बालकृष्ण शास्त्री द्वारा सम्पादित भजन प्रेमियों के लिए उपयोगी पुस्तक अनुपम भजन संग्रह का विमोचन भी महाराजश्री एवं गणमान्य जनों द्वारा किया गया। हरिद्वार के चिकित्सक डॉ. नरेश चौधरी को कोविड काल में दी गईं उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया।

इस मौके पर अविनाश चन्द ओहरी, रमणीक भाई, बृजभूषण विद्यार्थी, डॉ. जितेन्द्र सिंह, श्रवण गुप्ता, रमेश उपध्याय, अनिल गुप्ता, निशांत कौशिक, करन मल्होत्रा, आशीष बंसल, अमित सैनी, आचार्य पवन नन्दन जी महाराज, मीनाक्षी बंसल, पं. जगन्नाथ शर्मा, पवन कुमार, रोहित साहू, विकास गोयल, सुरेन्द्र शर्मा, विनोद तिवारी, ताराचन्द विरमानी, देशराज शर्मा, ललित चौहान, डॉ. रविकान्त शर्मा, पूर्व मेयर मनोज गर्ग, डॉ. विजय पाल सिंह, कुंवर रोहताश्व सिंह, मयंक शर्मा, प्रदीप कालरा, राजेन्द्र नाथ गोस्वामी, राज कुमार, डॉ. सत्यनारायण शर्मा, डॉ. अश्विनी चौहान, शैली चोपडा, अन्नू कक्कड़, रवीन्द्र सिंघल, विश्वास सक्सेना, डॉ. कुलदीप सिंह, सुशील चौहान, रामचन्द्र पाण्डेय, सन्दीप कपूर, ललित मिश्रा, सुशांत पाल, निशांत यादव, सुदीप वनर्जी, कमलेश काण्डपाल, शैलेश गुप्ता सहित मंगलमय परिवार के सदस्य एवं नगर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन विमल कुमार एवं डॉ. हिमांशु पण्डित ने किया।

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