हिन्दू धर्म के अभ्युत्थान और बद्रीनाथ, ज्योतिर्मठ क्षेत्र के मंगल के लिए किया गया सहस्र कन्या पूज़न, जानिए…

उत्तराखण्ड / सुमित यशकल्याण।

उत्तराखण्ड / चमोली / ज्योतिर्मठ। भारतीय संस्कृति में इस बात को बडी दृढता से सर्वत्र कही गई है कि शक्ति की उपासना के बिना किसी भी कार्य की सिद्धि सम्भव नही है। ब्रह्मा अपनी शक्ति ब्रह्माणी के सहयोग से सृष्टि की रचना करते है, विष्णु अपनी शक्ति लक्ष्मी के साथ मिलकर सबका पालन करते हैं और महेश भगवान शिव माता गौरी की शक्ति से समन्वित होकर संहार क्रम को आगे बढाते हैं। जिस कुल ने, समाज ने और देश ने शक्ति के महत्व को समझकर सदा उनका सम्मान किया है उस संस्कृति को विकसित और उल्लसित होने से कोई नही रोक सकता है। ऐसे सनातनी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए इस बार चैत्र नवरात्रि के उपलक्ष्य में ज्योतिष्पीठ और द्वारकाशारदापीठ के जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के आशीर्वाद से उनके शिष्य प्रतिनिधि स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती जी महाराज के मार्गदर्शन में इस बार उत्तराखण्ड के चमोली जिला स्थित चतुराम्नाय शांकर पीठ में से अन्यतम ज्योतिष्पीठ में देवी उपासना का नया स्वरूप देखने को मिला जो कि आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से अद्भुत पूजा रही ।

पूज्य स्वामिश्री जी ने नवरारत्रि के कुछ दिन पूर्व ये इच्छा व्यक्त कि इस नवरात्रि में एक सहस्र 1000 कन्याओं की पूजा की जाए ।

भगवती अखिलकोटिब्रहाण्ड नायिका राजराजेश्वरी त्रिपुर सुन्दरी माता श्रीदेवी की विशेष कृपा से ये पूजा सम्पन्न हुई ।

पहले दिन मठ परिसर में 110 कन्या, दूसरे दिन तपोवन के तप्तकुण्ड स्थल पर 50 कन्या, तीसरे दिन तीन स्थलों पर सेलंग गांव में 29 कन्या, पैनी के अणिमठ में 34 कन्या, फिर ज्योतिर्मठ में 100 कन्या, चौथे दिन ज्योतिर्मठ परिसर के चोसठ योगिनी मंदिर में 150 कन्या, पांचवे दिन ज्योतिर्मठ में 133 कन्या, छठवें दिन बडगांव के भूम्याल देवता मन्दिर में 61 कन्या और परसारी गांव के नन्दा मंदिर 25 कन्या, छठवें दिन करछी गांव के गौरीशंकर मंदिर में 35 कन्या, करछो गांव के नन्दा मन्दिर में 27 कन्या, और ढाक में 21 कन्या, सातवें दिन चांई गांव के सीता मन्दिर में 22 कन्या और सलूड गांव के विश्वप्रसिद्ध रम्माण मेला स्थल पर 109 कन्या, नवमें दिन पाण्डुकेश्वर के ध्यानबद्री मंदिर परिसर में 53 कन्या पूजन और दशमी को समापन के दिन ज्योतिर्मठ परिसर के देवी मन्दिर में 83 कन्याओं की पूजा सम्पन्न हुई।

कन्या पूजन में सबसे पहले चरण पक्षालन, चन्दन, रोली और अक्षत से मस्तक पूजन, चुनरी, बैग, कापी, पेन्सिल, रबड़, कटर, मिष्ठान्न का पैकेट, दक्षिणा, आरती, स्तुति और बीज मंत्र के साथ सभी कन्याओं के नाम का उच्चारण इस क्रम से सभी की पूजा प्रतिदिन सम्पन्न होती रही।

नवरात्रि के प्रतिदिन मठ में भगवती की महापूजा और ललितासहस्रनाम से अर्चन सम्पन्न हुआ। समापन के अवसर पर देवी जी का चूडियों से श्रृंगार किया गया।

ज्योतिर्मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुन्दानन्द और व्यवस्थापक ब्रह्मचारी विष्णुप्रियानन्द जी ने नौ दिन के सभी अनुष्ठान विधि विधान से सम्पन्न कराए ।

कन्या पूजन में विशिष अतिथि के रूप क्रमशः दिन के अनुसार पधारे चमोली जिले के आरटीओ ज्योतिशंकर मिश्र, बीआरओ मेजर आइना, ब्रिगेडियर अमन आनन्द, कर्नल ए.ए. पाराशर, बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर पवांर, डॉ. मोहन सिंह रावत, रोहिणी रावत, दिवाकर भट्ट,आप सब अलग-अलग दिन उपस्थित होकर कन्या पूज़न किया।

कन्यापूजन में अपनी पूरी सेवा देने वालों में श्रवणानन्द ब्रह्मचारी, वेदाचार्य वाणीविलास डिमरी, प्रदीप सेमवाल, कुशलानन्द बहुगुणा, हरीश डिमरी, शिवानन्द उनियाल, अरुण ओझा, हेमंत तोषावर, महिमानन्द उनियाल, दिनेशचन्द्र सती, जयदीप मेहता, जगदीश उनियाल, रेखा बिष्ट, सरिता उनियाल, शान्ति चौहान, आरती उनियाल, मनीषा सती, अरुणा नेगी, ऊषा उनियाल, पुष्पा उनियाल, वीणा पवांर, दीपिका नेगी, कमला भट्ट, पूनम नौटियाल, सरिता नेगी, कपरवाण, पूनम अग्रवाल, तनु अग्रवाल, स्वाती अग्रवाल, वीणा मारतोल्या, सुचिता चौहान, गुड्डी नौटियाल, संगीता नेगी, पुष्पा उनियाल, अंजू उनियाल, सुनीता उनियाल, विनीता उनियाल, रौशनी पंवार, लक्ष्मी खत्री, हेमंती राणा, दमयन्ती डिमरी, उत्तरा पाण्डेय, लक्ष्मी चौहान, गीता परमार, नीलम परमार, बनीता चौहान, कुसुम सती, पुष्पा सती, दमयन्ती भण्डारी, पवित्रा नम्बूरी, ममता, मञ्जू भण्डारी, पुष्पा सरगोई, रूपिका, स्मिता नेगी, लीला नेगी, सुनीता, अंजना थपलियाल, नन्दी, कैलाशचन्द्र नौटियाल, हेमन्त फर्स्वाण, पुष्कर सिंह, विक्रम फर्स्वाण, राकेश फर्स्वाण, जयदीप मेहता, रजनी, कान्ता शाह, संजय मेहरा, गीता नेगी, सुलोचना कपरवाण, पूनम नौटियाल, स्वाती देवी, पूनम अग्रवाल, अभिषेक बहुगुणा, प्रवीण नौटियाल, वैभव सकलानी, भगत सिंह, लकी उनियाल, आशीष उनियाल, शैलेन्द्र पवांर, बद्रीप्रसाद बगवाडी आदि उपस्थित रहे।

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