जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन पर अखाड़ा परिषद, युवा भारत साधु समाज सहित इन संतो ने शोक व्यक्तकर दी श्रद्धांजलि, जानिए…

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। जगदगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से धर्मनगरी हरिद्वार के संतों में शौक की लहर है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, भारत साधु समाज, युवा भारत साधु समाज सहित कई संस्थाओं और संतों ने दु:ख व्यक्त कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी महाराज, महामंत्री हरिगिरि महाराज, चेतन ज्योति आश्रम के पीठाधीश्वर ऋषिश्वरानंद महाराज, रामानंद ब्रह्मचारी, दुर्गा दास महाराज, प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के पीठाधीश्वर एवं महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश महाराज, अखाड़ा परिषद के उपाध्यक्ष एवं बड़ा उदासीन अखाड़े के कोठारी महंत दामोदर दास महाराज, युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष शिवम महंत, महामंत्री रवि देव शास्त्री महाराज सहित कई साधु-संतों ने शंकराचार्य जी के निधन पर शोक व्यक्त कर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है, जयराम आश्रम में सोमवार को शोक सभा का आयोजन भी रखा गया है।

रविवार को नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश) ज्योतिर्मठ जोशीमठ-बद्रीनाथ एवं द्वारका और शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ब्रह्मलीन हो गए। 99 साल की उम्र में स्वामी स्वरूपानंद ने रविवार को आखिरी सांस ली।
उनका निधन मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में स्थित गोटेगांव के पास बने झोतेश्वर धाम में हुआ है। हाल ही में उनका जन्मदिवस मनाया गया था। पिछले कुछ दिनों से बीमार बताए जा रहे थे स्वामी स्वरूपानंद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के पास बद्री आश्रम और द्वारकापीठ की जिम्मेदारी थी। उनका जब निधन हुआ तब वह अपने आश्रम में ही थे। बताया जाता है कि स्वामी स्वरूपानंद पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उनका नरसिंहपुर जिले में स्थित झोतेश्वर आश्रम में ही इलाज चल रहा था। रविवार दोपहर बाद अपने आश्रम में उन्होंने अंतिम सांस ली। स्वरूपानंद के आखिरी समय में आश्रम में रहने वाले उनके शिष्य उनके पास थे।

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के भक्तों में शोक की लहर दौड़ पड़ी और उनके अब उनके निधन की खबर सुनकर बड़ी तादाद में आश्रम में एकत्र होने लगे हैं, उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आदि समेत कई नेताओं ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है

इधर जैसे ही स्वरूपानंद के ब्रह्मलीन होने की खबर बाहर आई, भक्तों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। आश्रम पर उनके भक्तों की भीड़ जुटने लगी है। काफी संख्या में लोग झोतेश्वर आश्रम पर पहुंच गए हैं।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से ट्वीट कर शोक प्रकट किया। सीएम ने ट्वीट किया- “भगवान शंकराचार्य द्वारा स्थापित पश्चिम आम्नाय श्रीशारदापीठ के पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्राणांत की सूचना अत्यंत दुःखद है। पूज्य स्वामी जी सनातन धर्म के शलाका पुरुष एवं सन्यास परम्परा के सूर्य थे।”

प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर जताया दुख
मध्य प्रदेश से सिवनी जिले में जन्मे स्वरूपानंद सरस्वती 1982 में गुजरात में द्वारका, शारदा पीठ और बद्रीनाथ मेंज्योतिर्मठ मठ के शंकराचार्य बने थे। उनके निधन पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने शोक प्रकट किया है। प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर लिखा- ‘जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के महाप्रयाण का समाचार सुनकर मन को भारी दुख पहुंचा। स्वामी जी ने धर्म, अध्यात्म व परमार्थ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।’
आजादी की लड़ाई में भाग लिया था और जेल भी गए थे। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। द्वारका पीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था।शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म जबलपुर के पास दिघोरी गांव में 2 सितंबर 1924 को हुआ था। उनका निधन आज रविवार 11 सितंबर 2022 को हुआ

1982 में गुजरात में द्वारका शारदा पीठ और बद्रीनाथ में मठ के शंकराचार्य बन गए थे। बचपन का नाम पोथीराम उपाध्याय था। 9 साल की उम्र में घर छोड़ दी थी। धर्म की ओर रुख कर लिया था। उत्तर प्रदेश के काशी में वेद और शास्त्रों की शिक्षा और दीक्षा ली थी।
वे ज्योतिर्मठ और शारदा पीठ के शंकराचार्य थे, कल नरसिंहपुर के परमहंसी गंगा आश्रम में दी जाएगी समाधि

ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 98 साल की आयु में रविवार को निधन हो गया। उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में माइनर हार्ट अटैक आने के बाद दोपहर 3 बजकर 50 मिनट पर अंतिम सांस ली। स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था।

शंकराचार्य लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। हाल ही में वे आश्रम लौटे थे। शंकराचार्य के शिष्य ब्रह्म विद्यानंद ने बताया- स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार को शाम 5 बजे परमहंसी गंगा आश्रम में समाधि दी जाएगी। स्वामी शंकराचार्य आजादी की लड़ाई में जेल भी गए थे। उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी।

नरसिंहपुर स्थित झोतेश्वर परमहंसी गंगा आश्रम में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अंतिम सांस ली। आश्रम में उनके कमरे को अस्पताल के तौर पर व्यवस्थित किया गया था।
नरसिंहपुर स्थित झोतेश्वर परमहंसी गंगा आश्रम में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अंतिम सांस ली। आश्रम में उनके कमरे को अस्पताल के तौर पर व्यवस्थित किया गया था।
साधुओं को कैसे देते हैं भू-समाधि
शैव, नाथ, दशनामी, अघोर और शाक्त परम्परा के साधु-संतों को भू-समाधि दी जाती है। भू-समाधि में पद्मासन या सिद्धि आसन की मुद्रा में बैठाकर भूमि में समाधि दी जाती है। अक्सर यह समाधि संतों को उनके गुरु की समाधि के पास या मठ में दी जाती है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को भी भू-समाधि उनके आश्रम में दी जाएगी।

9 साल की उम्र में घर छोड़ धर्म यात्रा पर निकले
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में 1924 हुआ था। उनके माता-पिता ने बचपन में इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। महज 9 साल की उम्र में इन्होंने घर छोड़ धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। इस दौरान वो काशी पहुंचे और यहां इन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली।

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की पार्थिव देह पर चंदन लगाकर उनके शिष्य अंतिम श्रंगार करके अंतिम दर्शन के लिए रखेंगे।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की पार्थिव देह पर चंदन लगाकर उनके शिष्य अंतिम श्रंगार करके अंतिम दर्शन के लिए रखेंगे।
19 साल की उम्र में बने थे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
जब 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का ऐलान हुआ तो स्वामी स्वरूपानंद भी आंदोलन में कूद पड़े। 19 साल की आयु में वह क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्हें वाराणसी में 9 महीने और मध्यप्रदेश की जेल में 6 महीने कैद रखा गया। जगदगुरु शंकराचार्य का अंतिम जन्मदिन हरितालिका तीज के दिन मनाया गया था।

शंकराचार्य लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। हाल ही में वे आश्रम लौटे थे।
शंकराचार्य लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। हाल ही में वे आश्रम लौटे थे।
1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली
स्वामी स्वरूपानंद 1950 में दंडी संन्यासी बनाए गए थे। ज्योर्तिमठ पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड सन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे। उन्हें 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली।

राम मंदिर के नाम पर दफ्तर बनाने का आरोप लगाया था
शंकराचार्य स्वामी स्परूपानंद सरस्वती ने राम जन्मभूमि न्यास के नाम पर विहिप और भाजपा को घेरा था। उन्होंने कहा था- अयोध्या में मंदिर के नाम पर भाजपा-विहिप अपना ऑफिस बनाना चाहते हैं, जो हमें मंजूर नहीं है। हिंदुओं में शंकराचार्य ही सर्वोच्च होता है। हिंदुओं के सुप्रीम कोर्ट हम ही हैं। मंदिर का एक धार्मिक रूप होना चाहिए, लेकिन यह लोग इसे राजनीतिक रूप देना चाहते हैं जो कि हम लोगों को मान्य नहीं है।

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने 9 साल की उम्र में घर छोड़कर धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। वो काशी पहुंचे और यहां ब्रह्मलीन स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने 9 साल की उम्र में घर छोड़कर धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। वो काशी पहुंचे और यहां ब्रह्मलीन स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली।
राम मंदिर ट्रस्ट में वासुदेवानंद सरस्वती को जगह देने पर नाराज थे
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य के रूप में वासुदेवानंद सरस्वती को जगह देने पर भी शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने चार फैसलों में वासुदेवानंद सरस्वती को न शंकराचार्य माना और न ही सन्यासी माना है। ज्योतिर्मठ पीठ का शंकराचार्य मैं हूं। ऐसे में प्रधानमंत्री ने ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य के रूप में वासुदेवानंद सरस्वती को ट्रस्ट में जगह देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है।

पीएम मोदी ने ट्वीट किया- शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन से दुख हुआ, उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- सनातन संस्कृति व धर्म के प्रचार-प्रसार को समर्पित उनके कार्य सदैव याद किए जाएंगे।

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