अनुपमा रावत की जीत के पीछे इन दो नेताओं की रणनीति आई काम, जानिए…

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। हरिद्वार की ग्रामीण सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा रावत की जीत के पीछे इन 02 लोगों की जबरदस्त किलेबंदी की रणनीति काम आई, अनुपमा रावत ग्रामीण से चुनाव लड़ रही थी उनका मुकाबला बीजेपी में कैबिनेट मंत्री कद्दावर नेता स्वामी यतीश्वरानंद से था, इस बार चुनावी रण में सभी की नजर इस हॉट सीट पर लगी हुई थी। अनुपमा रावत ने इस बार स्वामी को हराकर अपनी जीत दर्ज की है।

मनीष कर्णवाल,पूर्व प्रवक्ता कांग्रेस पार्टी

अनुपमा रावत की इस जीत में जिन 02 लोगों की मुख्य भूमिका है वह दो नाम हैं, एक चंदन सिंह जीना और दूसरा नाम है कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता मनीष कर्णवाल। चंदन सिंह जीना सभी ऑफिस वर्क को बखूबी से संभाल रहे थे, वहीं क्षेत्र में चाहे मीडिया मैनेजमेंट की बात हो या अन्य कहीं किसी को साधना हो रात-दिन एक करके मनीष कर्णवाल उस में लगे हुए थे। वे हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा को 2009 हरीश रावत के संसदीय कार्यकाल के दौरान से बखूबी जानते थे, जिसका सीधा सीधा लाभ उन्हें इस चुनाव में मिला ,उन्होंने बसपा में तोड़फोड़ की, वहीं कई आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता को कांग्रेस में जॉइनिंग कराई और मत दान से पहले सभी बस्ते समय रहते मतदान केंद्र तक पहुंचाएं। मनीष कर्णवाल ने सभी स्थानीय नेताओं को पहले तरजीह देते हुए वरिष्ठ नेता अर्जुन चौहान, मुकर्रम अंसारी, धर्मेंद्र प्रधान, धर्मेंद्र चौहान आदि अन्य नेताओं को अनुपमा के साथ क्षेत्र में चेहरा बनाया और अपने आप पर्दे के पीछे से सारी रणनीति को तैयार करते रहे, चाहे लालढंग का क्षेत्र हो या लक्सर रोड का हरिद्वार ग्रामीण विधान सभा वाला क्षेत्र हो पूरे दिन क्षेत्र की स्थिति को भाप कर रणनीति तैयार करते रहे और परिणाम स्वरूप सभी की मेहनत रंग लाई। अनुपमा रावत ने हरिद्वार ग्रामीण सीट पर कब्जा करते हुए स्वामी यतीश्वरानंद से अपने पिता हरीश रावत का हिसाब भी चुकता किया और अपनी जीत दर्ज कराई।

मनीष कर्णवाल जहां एक तरफ क्षेत्र की जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे थे, वहीं दूसरी तरफ चंदन सिंह जीना ऑफिस वर्क को बहुत ही बेहतरीन तरीके से देख रहे थे, सरल और सौम्य स्वभाव के जीना दशकों से हरीश रावत का ऑफिस संभाल रहे हैं। दशकों से हरीश रावत के ऑफिस को बखूबी संचालित करने की दक्षता ने अनुपमा रावत को आखरी समय मे मिले टिकट को भी टीम ने जीत मे बदल दिया।

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