एसएमजेएन (पीजी) काॅलेज में दो दिवसीय फैकल्टी डेवलेपमेंट प्रोग्राम का किया गया शुभारंभ, जानिए…

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। गुरुवार को हरिद्वार के एसएमजेएन (पीजी) काॅलेज के आन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ द्वारा महाविद्यालय के व्याख्यान कक्ष में आज दो दिवसीय फैकल्टी डेवलेपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ किया गया।
यह कार्यक्रम शिक्षा में तकनीकि उन्नयन तथा मूक की रचना पर आधारित था। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा रहे तथा की-नोट स्पीकर राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष विनय थपलियाल रहे।
कार्यक्रम निदेशक अधिष्ठाता छात्र कल्याण तथा संयोजक आन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी के निर्देशन में सम्पन्न किया गया। कु. नेहा गुप्ता, डाॅ. प्रज्ञा जोशी, डाॅ. पदमावती तनेजा कार्यक्रम के रिसोर्स पर्सन रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन पर्यावरण विभाग के डाॅ. विजय शर्मा द्वारा किया गया।

कार्यक्रम का प्रारम्भ महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा के उदबोधन से हुआ। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि महाविद्यालय आनलाईन शिक्षा के क्षेत्र में हुई वर्तमान प्रगति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने बताया कि कोविड काल में भी जब सम्पूर्ण देश में लाॅकडाउन था उस समय भी महाविद्यालय के प्राध्यापक साथियों ने बढ़-चढ़कर आनलाईन कंटेंट की रचना की और राज्य सरकार द्वारा संचालित एडुसेट कार्यक्रम में अपने व्याख्यानों को सम्मिलित किया। डाॅ. बत्रा ने आश्वस्त किया कि आनलाईन शिक्षण के क्षेत्र में हमारा महाविद्यालय निरन्तर बदलती तकनीक के साथ स्वयं को समायोजित करने में पीछे नहीं रहेगा। डाॅ. बत्रा ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में मूक आनलाईन शिक्षा का मुख्य आधार स्तम्भ है।

कार्यक्रम के की-नोट स्पीकर विनय थपलियाल ने अपने सम्बोधन में कहा के यूजीसी की 2021 की नियमावली के तहत अब यह प्रत्येक विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय का कर्तव्य है कि वह आनलाईन स्टडी कंटेंट की रचना करे और उसे सुलभता से प्रत्येक छात्र-छात्रा को उपलब्ध कराये। उन्होंने मूक की आधारभूत संकल्पना अपने सम्बोधन में स्पष्ट करते हुए बताया कि मूक का आशय मैसिव आनलाईन ओपन कोर्स है, इसमें प्राध्यापकों को वीडियो लैक्चर, टैक्स्ट कंटेंट, ई-एसेसमेंट तथा डिस्कसन के चार स्तम्भों के माध्यम से अपना आनलाईन कंटेंट स्थापित करना होता है। थपलियाल ने आगे बताया कि हम इसे स्वीकार करें या न करें लेकिन यह तकनीक ही हमारे छात्र-छात्राओं और शिक्षा का भविष्य है।

संयोजक आन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आनलाईन व आफलाईन शिक्षा का विवेकपूर्ण समायोजन ही ब्लैन्डिड लर्निंग है और इसमें आनलाईन व आफलाईन दोनों ही प्रकार की शिक्षाओं के उत्तम गुण विद्यमान हैं।
कम्प्यूटर विज्ञान विभाग की शिक्षिका कु. नेहा गुप्ता ने प्राध्यापकों को गूगल वेबसाईट के माध्यम से आनलाईन शिक्षण कराने सम्बन्धी जानकारी दी।

गुरुवार के सत्र का समापन वाणिज्य विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. तेजवीर सिंह तोमर द्वारा धन्यवाद ज्ञापित करके किया गया तथा उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि वास्तव में ऐसे कार्यक्रम हमारे प्राध्यापकों को उच्च शिक्षा में बदलती हुई परिस्थितियों के साथ समायोजित करते हैं।

इस कार्यक्रम में वाणिज्य विभागाध्यक्ष डाॅ. मनमोहन गुप्ता, समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डाॅ. जगदीश चन्द्र आर्य, डाॅ. सुषमा नयाल, डाॅ. रूचिता सक्सेना, कु. अन्तिम त्यागी, श्रीमती रिंकल गोयल, वैभव बत्रा, श्रीमती कविता छाबड़ा, डाॅ. विनीता चौहान, दिव्यांश शर्मा, डाॅ. शिवकुमार चौहान, डाॅ. मनोज कुमार सोही, विनित सक्सेना, डाॅ. पुनीता शर्मा, कु. योगेश्वरी, कु. सन्तोष, अंकित अग्रवाल, डाॅ. आशा शर्मा, डाॅ. रेनू सिंह, श्रीमती साक्षी अग्रवाल, मोहन चन्द्र पाण्डेय सहित समस्त प्राध्यापक उपस्थित रहे।

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