कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ के लोहाघाट की लोहे की कढ़ाई अमेरिका में मचा रही है धूम…

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। हरिद्वार के जगजीतपुर स्थित मेडिकल कॉलेज मैदान में चल रहे दस दिवसीय राष्ट्रीय सरस मेले में उत्तराखंड समेत देश की विभिन्न स्वयं सहायता समूह ने अपने जैविक उत्पाद तथा अन्य उत्पाद प्रस्तुत किए हैं जिन्हें खरीदने के लिए लोगों की भीड़ लगी है। उत्तराखंड के मुंसियारी का भट्ट गोहत राजमा और जम्बू अल्मोड़ा का भागा पहाड़ी दालें और व्यंजन खूब बिक रहे हैं। पिथौरागढ़, नैनीताल, अल्मोड़ा, चंपावत, बागेश्वर, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी तथा अन्य पर्वतीय क्षेत्रों से स्वयं सहायता समूह अपने जैविक उत्पाद बेच रहे हैं। पहाड़ी अदरक, हल्दी, लहसुन, गडेरी, पहाड़ी नींबू, माल्टा यह सब सरस मेले में बिक्री का केंद्र बने हुए हैं।

वहीं कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जिले के लोहाघाट की लोहे की कढ़ाई और अन्य बर्तन आकर्षण का केंद्र है। लोहाघाट की लोहे की कढ़ाई और अन्य बर्तनों ने वर्तमान में अमेरिका समेत कई देशों में अपनी धूम मचाई हुई है। लोहे की कढ़ाई और बर्तनों की अलग ही खूबी है इनमें जल्दी से जंग नहीं लगती ना ही, जिन लोगों को शरीर में आयरन की कमी होती है उन्हें इस कढ़ाई में बने हुए खाने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है। लोहाघाट में लोहे की कढ़ाई और अन्य सामान बनाने का काम पुश्तैनी चला रहा है। महेंद्र कुमार ने बताया कि सात पीढ़ी से उनका परिवार इस काम को करता चला रहा है और इसका बाजार भी पिथौरागढ़, अल्मोड़ा के अलावा देहरादून, हरिद्वार, दिल्ली और अन्य जगहों पर और राष्ट्रीय सरस मेला में मिलता है। लोहे के इन बर्तनों की खूबसूरती और सफाई देखते ही बनती है, उनका कहना है कि कोरोना महामारी का प्रभाव हमारी बिक्री में भी पड़ा है।

मेले में टोकरियां बनाती हुई पर्वतीय महिलाएं देखी जा सकती हैं। कुमाऊं के ऐपण की पेंटिंग आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। महाराष्ट्र की बर्तनों में बनी हुई कलाकृतियां लोगों को खूब भा रही हैं।

आम जनमानस से लेकर साधु-संत भी इस सरस मेले में जैविक पदार्थों तथा पर्वतीय क्षेत्र से जुड़े हुए खाद्य पदार्थों को लेने के लिए अच्छी खासी तादाद में आ रहे हैं। पहाड़ी मसाले, पहाड़ी नमक, हिमालय में पैदा होने वाली जड़ी बूटियां, ताजा तेजपत्ता और मुनस्यारी की दालचीनी की खरीदारी भी लोग जमकर कर रहे हैं। इस राष्ट्रीय सरस मेले में भारत की विविधता के रंग दिखाई दे रहे हैं और लघु भारत भी दिखाई दे रहा है यह मेला 29 दिसंबर तक चलेगा।

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