रानीखेत (सतीश जोशी):
पहाड़ की बिच्छू घास की लकड़ी और रेसे से पर्वती महिलाओं की आर्थिककी का आधार बनेगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिच्छू घास पर शोध से सामने आए नतीजों को मान्यता मिल गई है। जिसके लिए राष्ट्रीय प्राकृतिक फाइबर इंजीनियरिंग एवं औद्योगिक संस्था कोलकाता अब उत्तराखंड को तकनीक साझा करेगा। ताड़ीखेत ब्लॉक सभागार में संस्था से जुड़ी महिलाओं ने एक प्रदर्शनी लगाई। जिसमें प्रोफेसर आलोक नाथ के निर्देशन में प्रशिक्षण ली महिलाओं द्वारा रेशों से तैयार बैग, राखियां आकर्षण का केंद्र रही।

क्षेत्रीय विधायक डॉ प्रमोद नैनवाल, ब्लाक प्रमुख हीरा रावत, सीडीओ आकांक्षा कांडे, संयुक्त मजिस्ट्रेट जयकिशन, वीडियो ललित महावर ने अवलोकन किया। प्रोफेसर आलोक नाथ राय ने बताया कि शोध में पहाड़ का बिच्छू घास की रेस उच्च गुणवत्ता वाले पाए गए हैं। बागेश्वरी चरखे की तरह हथकरघा से बिच्छू घास के रेसे से धागा निकाला जाएगा। उससे कपड़े व शाल बनाए जाएंगे। इससे बनने वाले शाल बाजार में 3 हजार से 4 हजार तथा अन्य उत्पाद 100 से 500 तक बिक भी रहे हैं।

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