हिंदू सेवा मंडल ने हरकी पैड़ी पहुंच बीते साल लावारिस हालत में मृत्यु को प्राप्त हुए 1139 लोगों की अस्थियों को पूरे विधि विधान के साथ गंगा में किया विसर्जित, देखें वीडियो…

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। जन्म के साथ हर व्यक्ति को एक पहचान मिलती है, लेकिन जब कोई लावारिस मरता है तो उसे कोई पहचान नहीं दी जाती। ऐसे लावारिस मरने वालों को मोक्ष दिलाने के लिए राजस्थान के जोधपुर की एक संस्था बीते कई दशकों से लगी हुई है यह इलाके की तमाम लावारिस शवों का न केवल अंतिम संस्कार करती है बल्कि उनको मोक्ष दिलाने के लिए उनकी अस्थियों को एकत्र कर सामूहिक रूप से उनको गंगा में विसर्जित भी करती है। हिंदू सेवा मंडल ने हरिद्वार की हरकी पैड़ी पहुंच बीते साल लावारिस हालत में मृत्यु को प्राप्त हुए 1139 लोगों की अस्थियों को पूरे विधि विधान के साथ आज गंगा में विसर्जित किया।
लाल रंग के कपड़ों में इन मटकियों में उन अभागे लोगों की अस्थियां हैं जिदगी मौत के समय कोई पहचान नहीं हो सकी और ना ही इनका कोई अंतिम संस्कार करने वाला कोई अपना था, लेकिन ऐसे लोगों की आत्मा को शांति दे कर मोक्ष भेजने का काम जोधपुर की हिंदू सेवा मंडल नामक समिति करती आ रही है। इस संस्था से जुड़े 24 सदस्य बीते कई दशकों से पूरे साल अपने इलाके में लावारिस मरने वाले लोगों की अस्थियों को एकत्र करती है और साल में एक बार हरिद्वार पहुंच उनका पूरे विधि विधान से गंगा में विसर्जित करने का काम करती है

संस्था के सचिव विष्णु चंद प्रजापत का कहना है कि हमारी संस्था स्थापना सन 1925 में हुई थी और तभी से विभिन्न सामाजिक कार्यों के साथ लावारिस अस्थियों के विसर्जन का काम इसी तरह करती आ रही है। इन लावारिस हस्तियों के लिए जोधपुर में पहले एक श्रद्धांजलि सभा रखी गई थी जिसके बाद इन अस्थियों को लेकर हरिद्वार पहुंचे और आज इनका यहां पर पूरे विधि विधान से गंगा में विसर्जन किया जा रहा है। कोविड-19 में जब अपने अपनों के शवों का अंतिम संस्कार करने से कतराते थे तब हमारी संस्था लगातार लावारिस और कोरोना वायरस संक्रमित लोगों के शवों का अंतिम संस्कार कर रही थी, जब लोग कोरोनावायरस संक्रमित अपने मृतकों की अस्थियों को हाथ नहीं लगाते थे तब हमारी संस्था ने वहां पर एक अस्थि बैंक की स्थापना की और उस समय भी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया। हमारे अस्थि बैंक में 1000 से 1500 अस्थियों को रखने की व्यवस्था है।

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