नगर परिक्रमा के दौरान साधु-संतों के जत्थे के साथ प्राचीन पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए पहुंची पवित्र छड़ी यात्रा…

हरिद्वार। श्री पंचदश नाम जूना अखाड़ा द्वारा संचालित पवित्र छड़ी यात्रा नगर परिक्रमा के दौरान सोमवार को श्रवण नाथ मठ स्थित प्राचीन पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए साधु-संतों के जत्थे के साथ पहुंची। इससे पूर्व पौराणिक तीर्थ माया देवी मंदिर में नवमी के पावन पर्व पर पुजारी श्री महंत सुरेशानंद सरस्वती ने पवित्र छड़ी की विधिवत पूजा-अर्चना कर रवाना किया। अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत प्रेम गिरि महाराज, सचिव श्री महंत महेश पुरी, श्री महंत शैलेंद्र गिरी, श्री महंत पशुपति गिरी, श्री महंत शिव दत्त गिरि, महंत महाकाल गिरी, महंत रतन गिरी, महंत ग्वालापुरी, महंत राजेंद्र गिरी, महंत आदित्य गिरि, महंत भीष्म गिरि, महंत धीरेंद्र पुरी आदि के नेतृत्व में पवित्र छड़ी साधु-संतों के हर हर-बम बम के जय घोष के साथ शोभा यात्रा के रूप में भल्ला रोड, भोला गिरी रोड, विष्णु घाट रामघाट, मोती बाजार होते हुए श्रवण नाथ मठ पहुंची, जहां निरंजनी अखाड़े के सचिव व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत रवींद्र पुरी ने स्वागत किया। पवित्र छड़ी के साथ साधु-संतों ने पशुपतिनाथ महादेव की पूजा-अर्चना की तथा जलाभिषेक किया।

श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज ने पशुपतिनाथ महादेव मंदिर के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि इस मंदिर में प्रतिष्ठित शिवलिंग काठमांडू नेपाल के पौराणिक पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति है तथा उसी पत्थर से बनाई गई है जिससे नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिमा बनाई गई है। इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पूरे देश के कई राजाओं ने भाग लिया था। इस मंदिर में जलाभिषेक करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। पवित्र छड़ी का पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने स्वागत किया गया। इस मौके पर श्री महंत प्रेम गिरि महाराज ने कहा कि यह पवित्र छड़ी 27 अक्टूबर तक नगर परिक्रमा के अंतगर्त नगर परिक्रमा करेगी। इस दौरान पवित्र छड़ी दक्ष प्रजापति महादेव मंदिर, मनसा देवी, चंडी देवी पारदेश्वर महादेव, हरिहर आश्रम, श्यामपुर स्थित श्री प्रेम गिरी आश्रम, श्री सोहनगिरी धाम, गोकर्ण धाम, स्वतंत्र आश्रम सहित सभी अखाड़ों तथा आश्रमों में पूजा-अर्चना तथा श्रद्धालुओं के दर्शनाथ जाएगी। 28 अक्टूबर को हर की पैड़ी पर मां गंगा की पूजा-अर्चना के पश्चात उत्तराखंड की यात्रा पर रवाना होगी।

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