न्यू सेंट थॉमस एकेडमी में धूमधाम से मनाया गया कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व…

हरिद्वार। न्यू सेंट थॉमस एकेडमी में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया। सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि राधिका नागरथ मैनेजर दिव्य फार्मेसी एंड सीनियर जर्नलिस्ट, विद्यालय प्रबंधक संदीप पाल व प्रधानाचार्या श्रीमती बीटा गर्ग ने दीप प्रज्वलित कर मुख्य अतिथि का पुष्पगुच्छ के द्वारा स्वागत किया। कृष्ण जन्माष्टमी जिसे जन्माष्टमी या गोपाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है। जो विष्णु के दशावतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से बाईसवें अवतार श्री कृष्ण के जन्म के आनंदोत्सव के लिए मनाया जाता है। जन्माष्टमी का पर्व पूरे भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। भगवान ने धरती को पाप से मुक्त करने के लिए इस संसार में कृष्ण रूप में जन्म लिया था। विद्यालय में बच्चों के द्वारा कृष्ण लीला पर अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। जिसमें आकर्षण का केंद्र बिंदु नृत्य अध्यापिका श्रीमती प्रीति बंसल व संगीत अध्यापिका कुमारी उपासना ने रसखान की कृष्ण भक्ति का बच्चों द्वारा प्रस्तुतीकरण कराकर बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत कराया।

प्री-प्राइमरी के बच्चों द्वारा कृष्ण की लीला को नृत्य कला द्वारा बड़े ही मनमोहक ढंग से प्रस्तुत किया गया। विद्यालय में बच्चों के द्वारा अलग-अलग कृष्ण स्तोत्र का काव्य पाठ किया गया जिसमें भगत सिंह हाउस के शिक्षक श्रीमती विजयदीप व रीता पाल द्वारा बच्चों द्वारा प्रस्तुतीकरण कराकर पुरुषोत्तम अष्टकम, चंद्रशेखर आजाद हाउस के श्रीमती मधुलिका एवं मीनाक्षी शर्मा ने बच्चों द्वारा प्रस्तुतीकरण कराकर मधुराष्टकम् स्तोत्रम, रानी लक्ष्मी बाई हाउस श्रीमती आशा व प्रभाकर उनियाल ने बच्चों द्वारा प्रस्तुतीकरण कराकर श्री हरी स्तोत्रम व सुभाष चंद्र बोस हाउस श्रीमती प्रीति बर्मन व श्री गणेश जोशी ने बच्चों द्वारा प्रस्तुतीकरण कराकर गोविंद दामोदर स्तोत्रम को बड़े ही निराले ढंग से कृष्ण की महिमा का गुणगान किया। जिसमें चंद्रशेखर आजाद हाउस के बच्चों ने प्रथम ,रानी लक्ष्मीबाई हाउस व सुभाषचंद्र बोस हाउस के बच्चों ने द्वितीय एवं भगत सिंह हाउस के बच्चों ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि राधिका नागरथ ने भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं के द्वारा मानव जाति को संदेश दिया और कहा कि मनुष्य को जांति -पांति के भेदभाव से दूर रहकर सतमार्ग पर चलते हुए अपने कार्य को सच्चाई और लगन से करते रहने की सीख दी, और कहा कि उसी में ईश्वर की सच्ची भक्ति है ।उन्होंने बच्चों के द्वारा प्रस्तुत किए गए कार्यक्रमों की सराहना की और बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना की।

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