बैंक के कुछ अधिकारियों ने नाजायज लाभ कमाने के लालच में कैनरा बैंक की साख को लगाया बट्टा, बैंक पर लटकी कुर्की की तलवार, जानिए मामला…

हरिद्वार। हरिद्वार में कैनरा बैंक पर कुर्की की तलवार लटकी हुई है। आमतौर पर देखने को मिलता है कि बैंक से लोन लेकर लोन ना चुका पाने वालों के खिलाफ बैंक कुर्की की कार्रवाई अमल में लाता है। लेकिन हरिद्वार में पहली बार इस तरह का मामला सामने आया है कि केनरा बैंक ने आश्रम की दुकानों में 10 वर्षों तक चलाई गई अपनी शाखा का करीब 12 लाख रुपए किराया जमा नहीं किया है। जिस पर करीब 10 साल चले कोर्ट केस के बाद कोर्ट ने सिंडिकेट बैंक जो कि अब केनरा बैंक में मर्ज हो गया है। केनरा बैंक की कुर्की के आदेश जारी किए हैं। जिसके चलते कैनरा बैंक की साख को जबरदस्त बट्टा लगा है। बैंक की कार्यशाली को लेकर आम जन में तरह-तरह की चर्चा हो रही है, कुर्की के आदेश के बाद बैंक में नीचे से लेकर ऊपर तक के आला अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।

प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के पीठाधीश्वर एवं महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने इन सबके लिए बैंक के तत्कालीन बैंक मैनेजर राजकुमार अरोड़ा, भगवत प्रसाद भट्ट और बैंक के वकीलों को जिम्मेदार बताते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।

स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने बताया कि प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम में सिंडिकेट बैंक ने अपनी शाखा खोली थी, बैंक ने उनके आश्रम में करीब 10 वर्षों तक कारोबार किया और एक दिन बिना बताए करीब 100 मीटर की दूरी पर शंकर आश्रम के पास अपनी शाखा को शिफ्ट कर दिया। महाराज श्री ने बताया कि तत्कालीन मैनेजर राजकुमार अरोड़ा और भगवत प्रसाद भट्ट ने नाजायज लाभ कमाने के उद्देश्य से जहां एक तरफ जनता के पैसे को चूना लगाया वही हमारे आश्रम को भी करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचा दिया। उन्होंने बताया कि हमारे आश्रम में बैंक की शाखा का किराया 11500 था जो की उन्होंने कुछ दूरी पर ही 90000 पर दूसरी जगह किराए पर ली, जिससे आमजन के पैसे की बंदरबाट की गई, बैंक ने आश्रम का करीब 12 लाख रुपए किराए का जमा नहीं किया और 10 वर्षों तक कोर्ट कचहरी में मुकदमा लड़कर हमारे आश्रम को करीब ढाई करोड़ का अलग नुकसान पहुंचा।

उन्होंने बताया कि जब सिंडिकेट बैंक के मैनेजर राजकुमार अरोड़ा द्वारा हमारे आश्रम से शाखा अन्य जगह ट्रांसफर की गई थी उसके बाद ना तो उन्होंने हमारा किराया जमा किया और ना ही कब्जा दिया गया, बदले में नाजायज लाभ कमाने और गलत मंशा के साथ चाबी देने के लिए उनके द्वारा कोर्ट में एक केस दर्ज किया गया, जब कोर्ट ने चाबी लेने से इनकार किया तो उसके बाद भी राजकुमार अरोड़ा और भगवत प्रसाद भट्ट पूरे मामले को उलझते रहे, बाद में हमारे द्वारा एक जिला न्यायालय में केस दायर किया गया, 2020 में माननीय हाईकोर्ट ने बैंक को हमारा किराया और कब्जा देने के आदेश दिए गए, इसके बाद उक्त लोगों ने हमें कब्जा तो दे दिया लेकिन हमारा किराया फिर भी नहीं दिया गया। इसके बाद फिर जिला न्यायालय में हमने किराए को लेकर केस दर्ज किया था। माननीय न्यायालय ने उक्त बैंक के कुर्की के आदेश जारी किए हैं इसके बाद 29 सितंबर को कुर्की करने के लिए टीम पहुंची थी जिसमें बैंक अधिकारियों द्वारा निवेदन करने के बाद उन्हें 03 अक्टूबर दोपहर 02:00 बजे तक किराया जमा करने का समय दिया गया है, नहीं तो बैंक में कुर्की करने की कार्रवाई की जाएगी। रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने किराए के साथ अपने हर्जे खर्चे की भी मांग की है।

शहर में किसी बैंक की कुर्की किए जाने का यह अलग ही तरह का मामला पहली बार सामने आया है जिसको लेकर लोगों में दिलचस्पी और चर्चा बनी हुई है। अब देखना है कि बैंक पर लटक रही कुर्की की तलवार को चालबाज बैंक के अधिकारी कितने दिन छल कपट से टालने में कामयाब हो पाते हैं।

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