स्वामी विवेकानंद के शिकागो धर्म संसद में दिए गए ऐतिहासिक भाषण की 130वीं वर्षगांठ पर गोष्ठी का किया आयोजन…

हरिद्वार। अमेरिका के शिकागो में 11 सितम्बर 1893 को आयोजित विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए गये विश्व शांति संदेश की 130वीं वर्षगांठ पर ग्लोबल पीस मिशन द्वारा जमुना पैलेस के निकट पाल मेंशन में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में स्वामी विवेकानंद के समस्त विश्व को एक पारिवारिक इकाई मानते हुए सहिष्णुता व करूंणा के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया। गोष्ठी में महिला अखाडा की अध्यक्ष त्रिकाल भवंता सरस्वती ने हिन्दू सनातन धर्म पर उठ रहे विवादों पर कहा कि सनातन धर्म वेदों पर आधारित वैदिक धर्म है। जिसकी व्याख्या आदि शंकराचार्य ने ब्रह्मसूत्र भाष्य तथा निर्वाण शटकम लिखकर की है। सनातन धर्म में ना तो कोई छुआ छूत बची है और ना कोई भेदभाव। सनातन धर्म पर गलत टीका टिप्प्णी करने वाला निंदा व दंड का भागी होगा। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचारों को अपनाकर समाज उत्थान में योगदान दें। युवा पीढ़ी को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। देहरादून से आए समाज सेवी सरफराज मालिक व समाज सेविका उमा सिसोदिया ने समाज को वसुधैव कुटुंबकम कि अवधारणा पर अपने घर से ही उदाहरण प्रस्तुत करने का आह्वान किया। ग्लोबल पीस मिशन के संयोजक विजय सिंह पाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। समाज के बीच उनके विचारों को प्रचारित प्रसारित करने की आवश्यकता है। युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति, देश की एकता अखंडता के लिए एकजुट होना होगा। परिवारों में आ रहे बदलाव पर उन्होंने कहा कि संगठित होकर ही परिवार समाज का उत्थान करने में योगदान दे सकते हैं। राष्ट्रहित में सभी को प्रयास करने चाहिए। गोष्ठी को डॉ.राधिका नागरथ, मनोज पाल, कुश केशवानी, पतंजलि योग विश्व विद्यालय के योग विभाग के अध्यक्ष डॉ.ओमकार निरंजन तिवारी, योगाचार्य अनुज चौहान ने भी सम्बोधित किया।

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