सराहनीय कदम। ग्राम प्रधान ने गांव वालों के साथ मिलकर बना दिया बारिश से क्षतिग्रस्त बांध…

हरिद्वार / ग्रामीण। सिस्टम के सितम से निराश होकर कई बार लोगों को ही एकजुट होकर अपनी समस्याओं का हल खुद ढूंढना पड़ता है, हरिद्वार जिले के पीली पड़ाव के ग्रामीणों ने भी ऐसा ही कुछ किया है। जिसके बाद ग्रामीणों की एकजुटता कि हर तरफ तारीफ हो रही है। ह रिद्वार से करीब 40 किलोमीटर दूर बसे गांव पीली पड़ाव के ग्रामीणों के सामने उस वक्त बड़ी समस्या आ खड़ी हुई जब भीषण बारिश से करीब 03 हज़ार बीघा जमीन की सिंचाई करने वाले एक छोटे रजवाहे का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। जिससे पानी का बहाव रजवाहे की तरफ बाधित हो गया और लोगों के खेतों में पानी पहुंचना बंद हो गया। गांव के प्रधान और अन्य ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से लेकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों के दफ्तरों के खूब चक्कर लगाए लेकिन जब अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो ग्रामीणों ने ही फावड़े उठाए और एक छोटा बांध बना डाला।

शशि झंडवाल ने बताया कि समस्या के निवारण के लिए सरकारी विभागों में भी गुहार लगाई गई कि जल्द से जल्द किसानों की इस समस्या का निवारण अति आवश्यक है, परंतु अधिकारियों द्वारा इसके लिए बजट तैयार किये जाने की बात कही गई। तब सभी ग्रामीणों के साथ सामूहिक रूप से इसके लिए 40 हजार रुपए इकट्ठा कर कार्य पूर्ण कराया गया, जिससे अब लगभग 2500 बीघा जमीन पर सिंचाई हो रही है और किसान अपनी फसलें लगा रहे हैं।

शशि झंडवाल, ग्राम प्रधान, पीली पड़ाव।

नियम कानूनों की डोर से बंधे अधिकारी जब ग्रामीणों की मदद नहीं कर पाए तो गांव के करीब 40 लोगों ने 07 दिनों तक लगातार मेहनत कर अपने खेतों की सिंचाई के लिए एक छोटा बांध बनाकर तैयार किया। इतना ही नहीं बांध के निर्माण में लगने वाला खर्च भी गांव वालों ने आपस में बांट लिया। सामूहिक निर्माण की इस प्रक्रिया में महिला-पुरुष, बच्चे और बूढ़े सभी ने समान रूप से हिस्सा लिया और श्रमदान कर खेतों में खड़ी फसलों की प्यास बुझाई।

वहीं उपप्रधान पुष्प उप्रेती ने बताया कि जंगल का पानी खेतों में गांव में पहुंच गया जिससे गुल टूट गई। सूचना पर सिंचाई विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे परंतु उनके द्वारा फौरी तौर पर कोई समाधान ना किए जाने से किसानों के सामने भारी समस्या खड़ी हो गई जिसके लिए सभी ग्रामवासियों द्वारा श्रमदान कर दिन-रात कार्य किया गया और यह गुल तैयार की गई।

पुष्पा उप्रेती, उपप्रधान।

ग्रामीण जीवानंद बहुगुणा ने कहा कि गुल टूटकर नाला बन गया था। गांव में निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारियों ने इसके लिए बजट तैयार करने की बात कही, परंतु धान की फसल की बुआई के लिए पानी की समय ना आए इसके लिए ग्रामीणों ने आपस में श्रमदान कर कार्य पूर्ण किया जिससे अब खेतों में फसलों को पानी पहुंचाया जा रहा है।

जीवानंद बहुगुणा, ग्रामीण।

गांव के ग्रामीणों द्वारा किया गया निर्माण यूं तो बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन ग्रामीणों की इस एकजुटता और मेहनतकश सोच से भारत के ग्रामीणों की असीमित क्षमताओं के बारे में पता चलता है।

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