श्रीभगवानदास संस्कृत महाविद्यालय में बड़ा घोटाला। घोटालेबाजों और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जारी रहेगी लड़ाई- रूपेंद्र प्रकाश महाराज

सुमित यशकल्याण

हरिद्वार। श्री पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन के महामंडलेश्वर एवं पीठाधीश्वर प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर श्री भगवानदास संस्कृत महाविद्यालय में घोटालों का आरोप लगाते हुए उनका खुलासा किया है उन्होंने बताया कि श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय , प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम , पो ० – गुरुकुल कांगडी , हरिद्वार की स्थापना आश्रम के महन्त स्वामी श्री गुरुचरणदास जी महाराज , स्वामी गोविन्द प्रकाश जी महाराज तथा स्वामी हंसप्रकाश जी महाराज ने संस्कृत एवं संस्कृति के प्रचार – प्रसार हेतु सन् 1965 में आश्रम की भूमि पर की थी , जिसकी महाविद्यालय की मातृसंस्था श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय , प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम , पो ० – गुरुकुल कांगडी , हरिद्वार है । धीरे – धीरे यह महाविद्यालय भारत सरकार की आदर्श योजना के अन्तर्गत आ गया , जिसके लिये उसे केन्द्र सरकार से तथा मातृसंस्था से वित्त उपलब्ध होने लगा ।

महाविद्यालय की जनकसमिति श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय , प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम , पो ० – गुरुकुल कांगडी , हरिद्वार इस समिति का नवीनीकरण सोसायटी रजिस्ट्रार हरिद्वार में पाँच वर्षों के लिये सन् 2015 तक कराती रही । किन्तु तत्कालीन महन्त प्रबन्धक श्री हंसप्रकाश जी महाराज के जनवरी 2013 में ब्रह्मलीन होने के उपरान्त 2016 से अचानक श्री महावीर अग्रवाल , जोकि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान दिल्ली से महाविद्यालय की प्रबन्ध समिति के चैयरमेन तीन वर्षों के लिये बनाये गये थे , उन्होंने नफानजायज कमाने के लिये षड्यन्त्र पूर्वक कूटरचना करते हुए प्रबन्ध समिति के सदस्यों को मातृसंस्था के रूप में दिखाकर चिट्स फण्ड सोसायटी हरिद्वार में इसका नवीनीकरण रजिस्ट्रार सोसायटी हरिद्वार में करा दिया , जिससे श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम हरिद्वार के पेरेन्टस् बोडी के अध्यक्ष तथा प्रबन्धक के स्थान पर अपना तथा बिनय बगई , अजय चोपड़ा , अरविन्द नारायण मिश्र , शैलेश कुमार तिवारी और भोला झा आदि साथियों के नाम पञ्जीकृत कर लिये गये ।

प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम को जब यह जानकारी प्राप्त हुई तब आश्रम द्वारा थाना कोतवाली में एक मुकद्दमा अपराध संख्या 270 सन् 2019 उपरोक्त अभियुक्तों के विरुद्ध अन्तर्गत धारा 419 , 420 , 465 , 467 , 468 , 471 , एवं 120 बी , भारतीय दण्ड संहिता के तहत कोतवाली ज्वालापुर जिला हरिद्वार में दिनांक 14.06.2019 को दर्ज कराया गया । उपरोक्त महावीर अग्रवाल , भोला झा आदि कुछ अभियुक्तों ने माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल से अरेस्ट स्टे लिया हुआ है । कोर्ट के आदेशानुसार एफआईआर की विवेचना लम्बित है । इस दौरान महाविद्यालय की किसी भी कार्यवाही के सम्बन्ध में उपरोक्त महावीर अग्रवाल आदि कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं ले सकते । इस धोखाधडी की जानकारी जब केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति को हुई तब उन्होंने महावीर अग्रवाल को नवम्बर 2020 में महाविद्यालय के चैयरमेन पद से हटा दिया और उनके स्थान पर प्रो ० सत्यदेव निगमालंकार को चैयरमैन बना दिया गया । जिन्होंने महाविद्यालय में चल रहे अवैधानिक कार्यों को देखकर उन पर रोक लगाने का जैसे ही प्रयास किया , तो उनके विरोध में प्रभारी प्राचार्य निरञ्जन मिश्र के साथ – साथ एक अध्यापक रवीन्द्र कुमार भी खडे हो गये , क्योंकि रवीन्द्र कुमार ने बिना उचित डिग्री के व्याकरण विभाग में असिस्टैण्ट प्रोफेसर के पद पर विधिविरुद्ध नियुक्ति प्राप्त कर ली है । व्याकरण विभाग में नियुक्त होने के लिये व्याकरण विषयक आचार्य की उपाधि का होना जरूरी है तथा यूजीसी की नेट परीक्षा परम्परागत ७३ कोड उत्तीर्ण होना जरूरी है । किन्तु नव्यव्याकरण पढाने वाला रवीन्द्र कुमार मात्र संस्कृत विषय से एम.ए. और यूजीसी की २५ कोड से परीक्षा उत्तीर्ण है । साथ ही यह भी दस्तावेजों से यह भी तथ्य सामने आया कि इस रवीन्द्र कुमार ने महाविद्यालय से बिना अवकाश लिये ही उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार से महावीर अग्रवाल तत्कालीन कुलपति के निर्देशन में पी – एच.डी . की डिग्री रैगुलर प्राप्त कर चुका है । महावीर अग्रवाल ने ऐसे अवैधानिक रूप से पी – एच डी . कई लोगों को करा दी हैं , जिनका पटाक्षेप होना बाकी है । इसी प्रकार महाविद्यालय में सहायक लिपिक के पद पर 2018 में विज्ञापन हुआ , मात्र छ : आवेदन पत्र आये , स्क्रिनिंग कमेटी ने दो आवेदनपत्र मान्य और चार को अमान्य कर दिया , आवेदन की दिनांक खत्म होने पर भी फिर से अमान्य अभ्यर्थियों से कुछ पत्रक मांग गये , जिससे की महाविद्यालय में अवैधानिक रूप से कार्यरत रवीन्द्र कुमार का मसाला अंकित भाटी विज्ञापित पद की न्यूनतम अर्हता भी पूरी नहीं करता है , साथ ही अनुभव प्रमाणपत्र के रूप में प्रथम दृष्ट्या कूटरचित दस्तावेज बनाकर येन केन प्रकारेण साज करके नौकरी प्राप्त करना चाहता है । इस सम्बन्ध में तत्कालीन अध्यय प्रो ० सत्यदेव निगमालंकार ने जब पत्रावली का अवलोकन किया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि अंकित भाटी के अनुभव प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया जाना न्यायोचित होगा । चूंकि इसके अनुभव प्रमाणपत्र में ग्रेड , वेतन , पी – एफ . , कर्मचारी कोडाइन्कमटैक्स आदि का कोई जिक्र नहीं है और मेरी दृष्टि में ठक्त पद पुन : विज्ञापित कराया जाना चाहिये , यह मैं आपको आदेशित करता हूँ । माननीय अध्यक्ष जी के बार – बार स्मरण कराने के बावजूद प्रभारी प्राचार्य निरन मित्र ने कोई कार्यवाही नहीं की । महावीर अग्रवाल जो इस समय एक सन्त के यहाँ प्रतिकुलपति के रूप में पदस्थापित हैं , भीला झा , निरञ्जन मित्र , और रवीन्द्र कुमार ने अपने राजनैतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर अपने भ्रष्टाचार को दबाये रखने हेतु प्रो ० सत्यदेव निगमालंकार को पदच्युत करवा दिया । क्योंकि उपरोक्त शिक्षाजगत के इन माफियाओं के अनेक भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा प्रो ० निगमालंकार द्वारा होने जा रहा था । इतना सब कुछ होने के बाद भी प्रभारी प्राचार्य निरन मित्र ने महावीर अग्रवाल के प्रभाव में आकर 18 जौलाई 2021 को सहायक लिपिक का साक्षात्कार योजित करा दिया है और जिस पर रवीन्द्रकुमार के साले अंकित भाटी की नियुक्ति पूर्वत : निश्चित हो चुकी है । इस सम्बन्ध में पूर्व में भी केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति , कुलसचिव , प्राचार्य भगवानदास , शिक्षा मन्त्रालय , यूजीसी और प्रधानमन्त्री कार्यालय को शिकायती पत्र प्रेषित किये जा चुके हैं ।

प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम के महन्त प्रबन्धक महामण्डलेश्वर स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश जी महाराज ने कहा कि श्री भगवानदास संस्कृत महाविद्यालय के संरक्षण हेतु आश्रम तन – मन – धन से समर्पित है । प्राचीन शिक्षा पद्धति के संवर्धन के लिये दृढप्रतिज्ञ है और संस्कृत तथा संस्कृति के उद्धार हेतु हम अपने प्राणों तक को न्यौछाकर करने को तैयार हैं । उपरोक्त भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आश्रम की लड़ाई अनवरत जारी रहेगी

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