नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन सतपाल ब्रह्मचारी एवं कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष कर्णवाल ने की सीबीआई जांच की मांग, कोरोना जांच घोटाला मामला, जानिए…

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हरिद्वार। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी व कांग्रेस प्रवक्ता मनीष कर्णवाल ने बुधवार को संयुक्त बयान जारी कर कुम्भ आयोजन के दौरान Rt-Pcr जांच में हुए घोटाले की जांच माननीय हाईकोर्ट के सिटींग जज की देख-रेख में सीबीआई से करवाने की मांग की। कुम्भ आयोजन के दौरान बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों की कोरोना आरटीपीसीआर जांच में गड़बड़ी की जांच आईएएस अधिकारी/सीडीओ हरिद्वार कर रहे हैं। उसी मामले की पुलिस एसआईटी भी जांच कर रही है। कथित घोटाले में प्रथम श्रेणी के राजपत्रित अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है और पुलिस एसआईटी के सदस्यों में गैर राजपत्रित कार्मिक मामले की पड़ताल और पूछताछ आदि कर रहे हैं। सामान्यतया ऐसे मामलों की जांच हेतु विवेचना अधिकारी कम से कम राजपत्रित अधिकारी को बनाया जाता है।
क्योंकि मामले में कई प्रभावशाली और सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े लोगों की संलिप्तता की भी चर्चा है जिसमे मुख्यरूप से तत्कालीन मुख्यमंत्री व शहरी विकास मंत्री का नाम जोर-शोर से लिया जा रहा इसलिए जरूरी है कि निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय के सिटींग जज की देखरेख में जांच सीबीआई से कराई जाए। पूरा प्रकरण एक जिले अथवा एक राज्य तक सीमित नही है इसलिए यह औऱ भी जरूरी हो जाता है के इसकी निष्पक्ष जांच के लिए कम से कम माननीय हाईकोर्ट के सिटींग जज की देख-रेख में जाँच सीबीआई से करवाई जाए।
कुंभ आयोजन के दौरान जांच में गड़बड़झाला कर जनता के धन की लूट करने का कुचक्र रचा गया और इसके लिए जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर हजारों लोगों के जीवन को जोखिम में डाला गया। इसलिए मामला बेहद गंभीर और संवेदनशील है। सरकार की ओर से दावा किया गया है कि घोटाले के दोषी बख्शे नहीं जाएंगे। ऐसे में पुलिस एसआईटी और प्रशासनिक जांच में इतने बड़े घोटाले से पर्दा उठा कर दोषियों के सलाखों के पीछे जाने की संभावना कम है, सरकारी पक्ष घोटाले पर कितना गंभीर है, इसका प्रमाण 23 जून 2021 को उच्च न्यायालय से आरोपी कंपनी को गिरफ्तारी के मामले में राहत मिल गई है। सरकारी पक्ष सोता रहा और आरोपी फर्म अदालत से अंतरिम राहत लेने में सफल हो गई। शायद जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा मामला उजागर और एफआईआर होने के बाद सक्षम न्यायालय में केवियट डालना उचित नहीं समझा गया। इससे स्पष्ट होता है कि घोटाले में किस प्रकार निजी फर्म, अधिकारियों और सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े लोगों की साठ गांठ रही है! इसलिए भी मामले की उच्च स्तरीय जांच आवश्यक हो गई है।

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