टाट वाले बाबा जी का 33वां वेदांत सम्मेलन प्रारम्भ…
हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।
हरिद्वार। दुर्लभ संत श्री श्री श्री टाट वाले बाबा जी की पुण्य स्मृति में आयोजित तीन दिवसीय 33 वाँ वार्षिक वेदान्त सम्मेलन का आयोजन टाट वाले बाबा जी की समाधि स्थल बिरला घाट पर आयोजित किया गया। सम्मेलन का सफल संचालन एस.के. बत्रा ने किया।
गुरु चरणानुरागी समिति के नेतृत्व में अध्यक्षा एवं सूत्रधार रचना मिश्रा के द्वारा कार्यक्रम को संयोजन किया गया।
वेदान्त की चर्चा में स्वामी दिनेश दास ने कहा कि गुरू के चरणों से ही शक्ति मिलती है और गुरु चरणों से ही ज्ञान का बोध होने लगता है।उन्होने अपने सम्बोधन में कहा कि युवा पीढ़ी को सनातन धर्म की ध्वजा को फहराने का कार्य करना है। गुरु परम्परा को आगे ब़ढाने का कार्य भी युवा पीढ़ी के कंधे पर ही है। वेदान्त चर्चा की कड़ी में स्वामी हरिहरानंद ने कहा कि टाट वाले बाबा परमात्मा का साकार स्वरूप है।अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला गुरु ही है। अज्ञान ही अंधकार है, वेद कहते है ज्ञान की ओर बढ़ो भय, क्रोध, चिन्ता, आवेश आदि ऊर्जा है लेकिन इसे स्थान्तरण कर प्रेम में परिर्वर्तित कर प्रभु चरणों में अर्पित करना है। गुरू की महिमा का वर्णन करते हुये कहा कि “हरि रुठे तो ठौर है, गुरु रुठे तो ठौर नहीं”।
इसी श्रंखला में संत श्री भक्त जी ने कहा कि जिस मनुष्य ने दुःख नहीं देखा वह अभागा है। दुःख से ही वैराग्य का भाव आता है। शरीर सब पापों का पाप है। बाहर के गुरू का कार्य अन्दर के गुरु का ज्ञान कराना है। वेदांत सम्मेलन में बाबा हठयोगी ने वेदों के रहस्य उजागर करते हुये कहा कि शब्द ही ब्रह्म है। आदिगुरू शंकराचार्य ने अद्वैतवाद की स्थापना की और कहा कि हम सभी परमपिता परमेश्वर का ही अंग हैं। उन्होनें कहा कि हमें दैहिक अंहकार को छोड़कर मायाजाल से मुक्त होना होगा।कथनी और करनी के अन्तर को मिटाना होगा। इस तरह के वेदान्त सम्मेलनों के माध्यम से यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति संभव है। ज्ञान प्राप्ति के बाद संसारिक कर्म हमें बाँधते नहीं है।
बाबा हठयोगी ने बताया कि सनातन धर्म की सभी क्रियाओं जैसे कीर्तन, हवन, करतल ध्वनि, आरती, तिलक आदि सभी का वैज्ञानिक तथ्य समाहित है।
इस अवसर पर बाबा जी के अन्न्य शिष्य स्वामी विजयानंद महाराज ने वेदान्त चर्चा में कहा कि उपनिषद् नहीं होते तो मानवता सदा अंधकार में रहती। मृत्यु का भय सबसे बड़ा है जिससे ज्ञान के द्वारा ही मुक्त हो सकते है। गुरु भक्त महेशी बहन, मधु माता, माता सन्तोष एवं बहन रैना ने भजन के माध्यम से टाट वाले बाबा जी के श्री चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर बहन भावना एवं प्रेम ने भाव भक्ति से परिपूर्ण अंत में आरती एवं भोग प्रसाद के बाद वेदान्त सम्मेलन के प्रथम दिवस का समापन हुआ।