हरिद्वार में एनएसयूआई ने “शिक्षा बचाओ-देश बचाओ ” अभियान किया लॉन्च, जानिए…
हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।
हरिद्वार। नई शिक्षा नीति केंद्रीयकरण व शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ एनएसयूआई ने “शिक्षा बचाओ-देश बचाओं” को राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया है। शनिवार को प्रेस क्लब हरिद्वार में प्रेस वार्ता कर कार्यक्रम के संयोजक उत्कर्ष वालिया ने बताया कि एनएसयूआई ने उत्तराखंड में “शिक्षा बचाओ-देश बचाओं” अभियान की शुरुआत की है, जिसकी लॉन्चिंग एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव एवं प्रदेश प्रभारी सतवीर चौधरी एवं प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी ने प्रदेश में की है। उत्कर्ष वालिया ने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत छात्रों की मांगों को उठाया जाएगा। जिसमें बेरोजगारी परीक्षाओं के बाद भी नियुक्ति ना होना, कोरोना के कारण उम्र में दी जाने वाली छूट को 02 वर्ष कराना बताया।
उन्होंने कहा कि जब से बीजेपी सरकार सत्ता में आई है तब से छात्रों की फेलोशिप एवं स्कॉलरशिप रोकी जा रही है, प्रवेश परीक्षाओं में घोटाले हो रहे हैं जिस कारण परीक्षाओं के परिणाम देरी से आ रहे हैं। नई शिक्षा नीति केंद्रीय करण व शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देती है साथ ही यह शिक्षा विरोधी नीति तब लाई गई जब पूरे देश में कोरोना का कहर का दौर था। उद्देश्य साफ है कि मोदी सरकार शिक्षा को भी सिर्फ अमीरों के लिए एक सुविधा जैसा बनाना चाहती है गरीब बच्चों के भविष्य के साथ यह सीधा खिलवाड़ है बताया कि सरकारी संस्थानों में निजी करण से देश के युवाओं के लिए स्थाई रोजगार के अवसर खत्म हो जाएंगे अब तो नई शिक्षा नीति भी निजीकरण को बढ़ावा दे रही है, गरीब जाएं तो कहां जाएं साथ ही एसएससी, नीट, जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में घोटाले सामने आना व युवाओं को वर्षों तक नौकरी नहीं देना यह सब बताता है कि मोदी सरकार छात्र विरोधी है अगर हम छात्र वर्ग के लिए कोई नीति बना रहे हैं तो हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उससे चर्चा करें लेकिन वर्तमान सरकार की आदत बन चुकी है कि सभी कार्य तानाशाही तरीके से लागू करते हैं कोरोना काल के नुकसान के बाद छात्र अभी तक नुकसान से नहीं उबर पाए हैं और एनएसयूआई के इस आंदोलन ने छात्रों की मांगों को आवाज दी है।
प्रेस वार्ता में “शिक्षा बचाओ-देश बचाओ” अभियान के संयोजक उत्कर्ष वालिया, शहर अध्यक्ष राजवीर सिंह, प्रदेश महासचिव गौरव शर्मा, शहर महासचिव अजय चौहान, वसीम सलमानी, दीपांशु बालियान, अंकुर शर्मा, वैभव पाल, चंद्रशेखर आदि उपस्थित रहे।