नए मुख्यमंत्री के सामने प्रदेश के युवाओं की पहली मांग, सोशल मीडिया पर हो रही है ट्रेंडिंग , जानिये।

हरिद्वार तुषार गुप्ता

उत्तराखंड में कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर भू कानून को लेकर आवाज उठने लगी है। सोशल मीडिया पर हैशटैग उत्तराखंड मांगे भू कानून ट्रेंडिंग पर है। यह लड़ाई समस्त उत्तराखंड वासियों की है जो अपने अधिकारों को पाने के लिए है।चुनावी साल में उत्तराखंड के युवाओं ने औने पौने दाम पर बिक रही कृषि भूमि बचाने के लिए मजबूत भू कानून की मांग को लेकर अभियान छेड़ दिया है। शायद 2022 में होने वाले चुनाव का मुदा भू कानून हो सकता है। बीते कुछ दिनों से फेसबुक ,इंस्टाग्राम टि्वटर और अन्य सोशल मीडिया पर युवाओं ने जंग छेड़ दि है। युवाओं का कहना है जब देश के अन्य हिमालय क्षेत्र में भू कानून हो सकता है जैसे हिमाचल प्रदेश तो उत्तराखंड में यह कानून क्यों नहीं हो सकता।

उत्तराखंड का भू कानून बहुत ही लचीला है। जिसके कारण यहाँ जमीन देश का कोई भी नागरिक आसानी से खरीद सकता है,बस सकता है। वर्तमान स्थिति यह है, कि देश के कोई भी कोने से लोग यहाँ जमीन लेकर रहने लगे हैं। जो उत्तराखंड की संस्कृति , भाषा रहन सहन, उत्तराखंडी समाज के विलुप्ति का कारण बन सकता है। धीरे धीरे यह पहाड़ी जीवन शैली ,पहाड़वाद को विलुप्ति की ओर धकेल रहा है। 

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एक रिपोर्ट के मुताबिक जब उत्तराखंड राज्य बना था, उसके बाद साल 2002 तक अन्य राज्यों के लोग उत्तराखंड में सिर्फ 500 वर्ग मीटर तक जमीन खरीद सकते थे। 2007 में यह सीमा 250 वर्गमीटर की गई। इसके बाद 6 अक्टूबर 2018 में सरकार द्वारा नया अध्यादेश लाया गया। इसके मुताबिक “उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम,1950 में संसोधन का विधेयक पारित किया गया और इसमें धारा 143 (क) धारा 154(2) जोड़ी गई। यानी पहाड़ो में भूमिखरीद की अधिकतम सीमा ही समाप्त कर दी। आगे पढ़िए

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