संस्कृत भारतीय संस्कृति और संस्कारों का मूल आधार -ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज।
हरियाणा / सुमित यशकल्याण।
कुरुक्षेत्र / कुलतार। ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ के गीता शोध केंद्र में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में हरियाणा संस्कृत अकादमी पंचकूला द्वारा आयोजित 09 दिन से चल रहे संस्कृत संभाषण शिविर का का समापन हुआ। संस्कृत संभाषण शिविर के समापन समारोह के अवसर पर देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष एवं श्री जयराम शिक्षण संस्थान के चेयरमैन ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने सभी विद्वानों एवं विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा ही सभी भारतीय भाषाओं की जननी है। उन्होंने बताया कि संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों का मूलाधार है। संस्कृत के विकास के लिए सभी को मिलकर के कार्य करने की नितांत आवश्यकता है। ब्रह्मचारी ने आश्वासन दिया कि श्री जयराम विद्यापीठ द्वारा हमेशा की तरह संस्कृत के विकास के लिए हर संभव प्रयास किए जायेंगे। इस समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष वरिष्ठ प्रो. डॉ. राजेश्वर प्रसाद मिश्र ने शिरकत की।
प्रो. मिश्र ने अपने व्याख्यान में विद्यार्थियों को संस्कृत सीखने के लिए अभिप्रेरित किया। इस अवसर पर आदर्श संस्कृत महाविद्यालय अंबाला के व्याकरण विभाग के सहायक प्रोफेसर वैयाकरण डॉ. अशोक मिश्र ने कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। डॉ. अशोक मिश्र ने अपने प्रभावी वक्तव्य में विद्यार्थियों को सही मार्गदर्शन के साथ संस्कृत भाषा सीखने के लिए उत्साहित किया। उन्होंने बताया कि संस्कृत भाषा कठिन नहीं है। व्याकरण का ज्ञान संस्कृत के लिए परम आवश्यक है। हरियाणा संस्कृत अकादमी से आचार्य मुकेश पाण्डेय ने अपने वक्तव्य में संस्कृत भाषा के महत्त्व को बताते हुए उच्चारण की शुद्धता पर ध्यान देने होगा।
आचार्य पाण्डेय ने बताया कि हरियाणा संस्कृत अकादमी निदेशक डा. दिनेश शास्त्री के प्रभावी एवं कुशल निर्देशन में निरंतर संस्कृत के विकास के लिए कार्य कर रही है। डॉ. दिनेश शास्त्री के कुशल नेतृत्व के कारण हरियाणा संस्कृत अकादमी का नाम पूरे भारत में सुप्रसिद्ध हो रहा है। पाण्डेय ने हरियाणा संस्कृत अकादमी की गतिविधियों पर विस्तृत प्रकाश डाला। श्री जयराम विद्यापीठ के प्राचार्य डॉ. रणवीर भारद्वाज ने कार्यक्रम के समापन अवसर पर सभी अतिथियों, विद्वानों, प्राध्यापकों तथा संस्कृत प्रेमी महानुभावों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन किया। अजय शर्मा द्वारा बहुत ही सुंदर तरीके से मंच संचालन किया गया।