केदारनाथ की बरसी को हुए 8 साल पूरे,अभी तक नही मिल पाए बिछड़े।
हरिद्वार / तुषार गुप्ता
आठ साल पहले इसी दिन उत्तराखंड में एक भयानक प्राकृतिक आपदा आई थी जिसने लाखो घर उजाड़ दिये। हमे अभी भी उत्तराखंड मैं कही जगह आपदा में लापता हुए लोगो के पोस्टर अभी भी देखने को मिलता है ।इस आपदा ने केदार घाटी को तहस नहस कर दिया था जिससे कारण अभी भी वह पूरी तरह उभर नही पाया है।जलप्रलय के खौफ ने घाटी के सैकड़ों परिवारों को मैदानों में पलायन के लिए मजबूर कर दिया। जो पहाड़ में रह गए उनकी स्मृतियों में आपदा जख्म अब भी हरे हैं। आज भी जब आसमान से मेघ बरसते हैं तो खौफनाक यादों के रूप में त्रासदी के जख्म हरे हो जाते हैं।
जून 2013 में आपदा से केदारनाथ धाम को खासा नुकसान हुआ था। यहां मंदिर परिसर को छोड़ शेष पूरा क्षेत्र बाढ़ से तहस-नहस हो गया था। चौराबाड़ी में बनी झील उस दिन करीब 24 घण्टे हुई लगातार बारिश के बाद टूट गई थी।झील का पानी पहाड़ से नीचे आया जिसने मंदाकिनी के साथ मिलकर जबरदस्त तबाही मचाई थी। जल प्रलय में 4400 से ज्यादा लोग मारे गए थे। जान बचाने के लिए केदारघाटी के आसपास के जंगलों में भागे 55 लोगों के नरकंकाल बाद में चले रेस्क्यू कार्य के दौरान मिले थे।
केदारघाटी में आए जलप्रलय का असर अलग-अलग स्थानों पर भी पड़ा जिसमें 991 लोगों की जान गई थी।11 हजार से ज्यादा मवेशी पानी में बह गए थे। 1309 हेक्टेयर भूमि बह गई. 9 राष्ट्रीय मार्ग एवं 35 स्टेट हाई वे क्षतिग्रस्त हो गए। करीब 2385 सड़कों को बड़ा नुकसान हुआ।85 मोटर पुल एवं 172 छोटे बड़े पुल प्रलय में बह गए।