जय जवान जय किसान लोकशक्ति संगठन का दो दिवसीय चिंतन शिविर का हुआ समापन…

हरिद्वार। बाबा हठयोगी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज भारत धर्म संकट के दौर से गुजर रहा है। धर्मांतरण, नशा, चरित्रहीनता और किसानों की दुर्दशा हमारे समाज को खोखला कर रही है। ऐसे समय में किसान, संत और सनातन को जोड़कर जनचेतना का एक व्यापक अभियान ही भारत को बचा सकता है। जो सनातन को बचाएगा, वही भारत को बचाएगा। उन्होंने सीएए के तहत नागरिकता प्राप्त कर चुके शरणार्थी परिवारों को शीघ्र भूमि आवंटित करने की मांग दोहराई और कहा कि तीर्थ सेवा न्यास इन पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा रहेगा।
तीर्थाचार्य राम विशाल दास महाराज ने कहा कि यह चिंतन शिविर किसी राजनीतिक मंच का आयोजन नहीं, बल्कि यह राष्ट्र और धर्म की रक्षा का एक यज्ञ है। दिल्ली में बसे जिन परिवारों को तीर्थ सेवा न्यास ने आश्रय दिया है, अब उनके पुनर्वास के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। जो आज का सबसे गरीब किसान है, वही कल भारत का भाग्यविधाता बनेगा, यदि उसे शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान मिल सके। विश्व सनातन महापीठ की स्थापना केवल एक भवन नहीं, भारत की आत्मा को पुनः स्थापित करने का महायज्ञ है।
चंद्रभान चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि जय जवान जय किसान का यह आंदोलन अब केवल नारे तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह जनआंदोलन गांव-गांव तक पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि किसानों की फसल, परिवार और भविष्य तीनों पर संकट है। ऐसे में संगठन उनकी आवाज बनेगा और हर समस्या का समाधान संगठन की जिम्मेदारी मानेगा।
अभिनव भारत पार्टी के अध्यक्ष चेतन शर्मा ने कहा कि यह समय केवल भाषण देने का नहीं, बल्कि गांव-गांव जाकर किसानों और सनातन धर्म के लिए जागरण का है। भारत की मूल शक्ति किसान, सैनिक और संत है। अगर इन तीनों को सशक्त कर दिया जाए, तो किसी भी विदेशी एजेंडे, धर्मांतरण या आतंरिक विघटनकारी ताकत की हिम्मत नहीं कि भारत को तोड़ सके।
ए.के. सोलंकी ने कहा कि नागरिकता प्राप्त हिंदू शरणार्थियों की स्थिति आज भी बेहद दयनीय है। दिल्ली के जिन कैंपों में ये बसे हैं, वहां न रोजगार है, न जमीन, न सरकारी योजनाओं की पहुंच। उन्होंने सरकार से मांग की कि पूर्व में बने लैंडलेस कानून या 20 सूत्रीय कार्यक्रम की तर्ज पर इन्हें जमीन आवंटित कर सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाए।
कार्यक्रम का समापन हवन और राष्ट्रगान के साथ हुआ। इसके बाद सभी सहभागियों को विश्व सनातन महापीठ अभियान से जोड़ने का संकल्प पत्र बांटा गया और अगले चिंतन शिविर की तिथि की घोषणा शीघ्र करने का वादा किया गया।
इस अवसर पर महंत ओमदास, महंत हितेश दास, राजबीर तोमर, चन्द्रभान चौहान, नितेंद्र शर्मा, दिनेश बाली, गीतांजलि आदि उपस्थित रहे

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