संस्कृत हिंदी है उर्दू भाषा की जननी,उर्दू की जन्मस्थली है भारत-इम्तियाज वफा
हरिद्वार
“संस्कृत और हिंदी उर्दू भाषा की जननी है आपको उर्दू भाषा में संस्कृत और हिंदी के शब्दों के अलावा फारसी के शब्द भी मिल जाएंगे और फारसी के कई शब्दों में संस्कृत का सार भी मिल जाएगा उर्दू की जन्मस्थली भारत है हिंदी और उर्दू दोनों बहने हैं हिंदी उर्दू की बड़ी बहन है, यह विचार नेपाल के रहने वाले शायर बसंत कुमार और उनके साथी इम्तियाज वफा के हैं
यह दोनों सुप्रसिद्ध शायर अपने साथियों के साथ नेपाल से हरिद्वार में पिछले दिनों आयोजित हुए
16 वे ग़ज़ल कुंभ भाग लेने आए थे शेयर वसंत कुमार कहते हैं कि दो मुल्कों की सांस्कृतिक आदान-प्रदान से उनके बीच नजदीकियां बढ़ती हैं और एक दूसरे को समझने की समझ और मजबूत होती है इसलिए सांस्कृतिक कूटनीतिक को और अधिक मजबूत बनाया जाना चाहिए जिससे मुल्कों के बीच नफरत की बजाय स्नेह भाव बढ जाएगा
नेपाली शायर बसंत कुमार कहते हैं कि सुविख्यात लोकप्रिय शायर दीक्षित दनकौरी के कुशल संयोजन व नेतृत्व में निष्काम सेवा ट्रस्ट, हरिद्वार में अंजुमन फ़रोग़ ए उर्दू दिल्ली द्वारा आयोजित 16 वां ग़ज़ल कुंभ कई मायनो में खास रहा। कई नवोदय कलाकारों को मंच प्रदान करने के अतिरिक्त नेपाल के जाने माने कवियों और गजल कारों के द्वारा भारत और नेपाल दोनों देशों की संस्कृति को सुदृढ़ करने का काम किया।इसमें देश के नामचीन लेखक, शायर, एवं गजल कारों ने शिरकत की।
काठमांडू से पधारे बसंत कुमार ने बताया कि पिछले 2 दशकों से गजल प्रेमियों की महफिल होती आ रही है किंतु पहली बार हरिद्वार में एक वृहद रूप में लगभग 300 कलाकार एकत्रित हुए थे और उन्होंने दो दिवसीय गजल कुंभ में अपनी शायरी का हुनर दिखाया। उनका मानना है कि हरिद्वार में पिछले 2 सालों से शायरी को लेकर बहुत कुछ कार्य हो रहा है और संस्कृत हिंदी और उर्दू भाषाओं के जानकार लोगों के बीच सांस्कृतिक और भाषाई संबंध और अधिक मजबूत हो रहे हैं इम्तियाज वफ़ा कहते हैं कि दिल को छू जाने वाली और समाज का दर्पण दिखाने वाली शायरी सबके मन की कोमल भावनाओं को स्पर्श करती है और उन्हें एक मजबूत मंच प्रदान करती हैं ।
इम्तियाज वफ़ा कहते हैं कि जुबान का काम किसी को लड़ना नहीं बल्कि जोड़ना होता है संस्कृत हिंदी और उर्दू भाषाओं का विकास और अधिक होना चाहिए जिससे हिंद महासागर के देशों में और अधिक संबंध मजबूत होंगे और इस क्षेत्र के मुल्कों के लोगों को एक दूसरे को और अधिक समझने का मौका मिलेगा जिससे भाषाई और जातीय और सांप्रदायिक तनाव कम होगा और संबंध अधिक मजबूत होंगे
अंग्रेजी साहित्य के जानकार और शिक्षाविद श्रवण कुमार शर्मा ने भी जब स्वरचित गजल प्रस्तुत की तो सब हतप्रभ रह गए। अंतर प्रवाह समिति के अध्यक्ष संजय हांडा ने कहा कि इस बार का गजल कुंभ कई मायने में विलक्षण था। देशभर से गंगा तट पर शायरी के दौर लगातार 2 दिन तक चलते रहे। सामाजिक सरोकारों को उकेरती शायरी मानव जीवन को एक नवीन धारा में प्रवाहित करने की प्रेरणा दे गई,
इस अवसर पर नेपाल से आई त्रिभुवन विश्वविद्यालय की हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर श्वेता दीप्ति नेपाल के राजकीय विधि विभाग के प्रोफेसर राजेंद्र शलभ करुणा शर्मा डॉ राधिका नागरथ निधि आदि मौजूद थे