परिवर्तन,अब ना वे पत्रकार है, ना राजनेता,अफसरों के तो मायने ही बदल गये है_नरेश गुप्ता

हरिद्वार ,समय परिवर्तनशील है आज से 30 वर्ष पूर्व जो चीजें हुआ करती थी ।उनमें आज जबरदस्त परिवर्तन आया है पहले चाहे पत्रकारिता हो राजनेता हो या ब्यूरोक्रेट्स हो सभी की कार्य शैली में जमीन आसमान का परिवर्तन हो गया है। पहले व अब के पत्रकारों जिनको लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है।उनके कार्य करने में जबरदस्त परिवर्तन हुआ है।हरिद्वार की बात करें तो आज से 30 वर्ष पूर्व जब उत्तराखंड का जन्म नही हुआ था ।एक दर्जन से भी कम पत्रकार हुआ करते थे।करीब आधा दर्जन पत्रकार ऐसे थे जो फील्ड में काम किया करते थे ।और इन पत्रकारों की इतनी दहशत होती थी कि अगर किसी भी कोतवाली थाने या सरकारी दफ्तर की तरफ निकल जाते थे तो दफ्तरों के कर्मचारियों में काना फुंसियां शुरू हो जाया करती थी की भाई आज वो पत्रकार इधर घूम रहे थे क्या मैटर है ।लेकिन अब समय बदल गया है किसी को कोई मतलब नहीं है । अब ना किसी में कोई दहशत है ना कोई किसी से डरता है जो भी चल रहा है खुलकर चल रहा है खुले आम चल रहा है पहले अगर अखबार में कोई खबर 10 लाइन की भी छप गई तो उसे अधिकारी गम्भीरता से लेते थे।खबर पर तत्काल कार्यवाही हुआ करती थी। बड़ी खबर हुआ करती थी तो उस पर मुख्यमंत्री तक संज्ञान ले लिया करते थे । लेकिन अब आप लिखते रहिए । और उसको खुद ही पढ़ते रहिए उस पर कोई संज्ञान लेने वाला नहीं है क्योंकि अब समय बदल गया है ।यह भौतिकता का युग है इस युग में केवल और केवल पूजा होती है तो लक्ष्मी की होती है
लेखक नरेश गुप्ता
वरिष्ठ पत्रकार