हरिद्वार की कंपनिया कर रही है csr फंड का दुरुपयोग,कार्यवाही को लेकर सुराज सेवा दल ने कमिश्नर को सौंपा ज्ञापन

सेवा में,
माननीय सचिव,
औद्योगिक विकास एवं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग,
उत्तराखंड शासन, देहरादून।
विषय: जनपद हरिद्वार में CSR फंड के दुरुपयोग एवं बाहरी NGO के माध्यम से हो रही अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जांच कराने एवं निगरानी तंत्र विकसित करने हेतु प्रार्थना।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके संज्ञान में एक अत्यंत गंभीर एवं जनहित से जुड़ा विषय लाना चाहता हूं, जो जनपद हरिद्वार में संचालित कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) कार्यक्रमों से संबंधित है।
जनपद हरिद्वार एक प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है, जहां बड़ी संख्या में औद्योगिक इकाइयां कार्यरत हैं। ये इकाइयां CSR के तहत सामाजिक कल्याण की विभिन्न योजनाएं संचालित करती हैं। यद्यपि कुछ कंपनियां स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पारदर्शी तरीके से स्थानीय NGOs के सहयोग से कार्य कर रही हैं, परंतु यह अत्यंत खेदजनक है कि कई कंपनियां CSR फंड का दुरुपयोग कर रही हैं। वे बिना स्थानीय प्रशासन की जानकारी अथवा स्वीकृति के बाहरी जिलों के NGOs से गठजोड़ कर करोड़ों रुपये के फंड का अनियंत्रित उपयोग कर रही हैं, जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही और जनहित की भावना आहत हो रही है।
उदाहरण के तौर पर, पैनासोनिक लाइट सॉल्यूशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, सिडकुल, हरिद्वार द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 से ग्राम हलजोरा (ब्लॉक भगवानपुर) में ‘विलेज डेवलपमेंट प्रोजेक्ट’ के नाम पर करोड़ों रुपये CSR मद से व्यय किए गए हैं, किंतु गांव में किसी प्रकार के ठोस विकास के प्रमाण नहीं दिखते। यह कार्य BAIF (Bharatiya Agro Industries Foundation), मसूरी नामक बाहरी NGO के माध्यम से किया गया, जिसकी न तो कोई निगरानी स्थानीय प्रशासन द्वारा की गई और न ही इसकी जानकारी जिलाधिकारी या संबंधित अधिकारियों को दी गई है।
इसी प्रकार, हाल ही में कंपनी द्वारा हरिद्वार के एक कार्यकुशल स्थानीय NGO को हटाकर शिक्षा परियोजना का कार्य नैनीताल स्थित चिराग फाउंडेशन को सौंपा गया है, जिसकी सूचना यहां के मुख्य शिक्षा अधिकारी तक को नहीं दी गई। यह प्रक्रिया न केवल स्थानीय जनहित की उपेक्षा है, बल्कि भ्रष्टाचार और अपारदर्शिता की ओर स्पष्ट संकेत करती है।
अतः आपसे निम्नलिखित मांगें की जाती हैं—
- इस संपूर्ण प्रकरण की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, जिसमें पैनासोनिक कंपनी द्वारा विगत दो वर्षों में CSR मद से किए गए समस्त व्यय, उनके NGO साझेदारों तथा क्रियान्वयन की वास्तविक स्थिति का परीक्षण हो।
- CSR कार्यों की स्वीकृति, निगरानी और पारदर्शिता हेतु एक प्रभावी जिला-स्तरीय निगरानी तंत्र/नीति विकसित की जाए, जिससे भविष्य में किसी भी कंपनी या NGO द्वारा मनमानी और अपारदर्शिता को रोका जा सके।
- स्थानीय, पंजीकृत एवं कार्यरत NGOs को प्राथमिकता देने हेतु नीति तैयार की जाए, ताकि CSR कार्यों में स्थानीय सहभागिता सुनिश्चित हो और रोजगार व सामाजिक उत्तरदायित्व के अवसर स्थानीय स्तर पर सृजित हों।
- जिन कंपनियों द्वारा CSR फंड का दुरुपयोग अथवा प्रशासनिक स्वीकृति के बिना कार्य किया गया है, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए एवं उन्हें राज्य स्तर पर चिन्हित कर चेतावनी या दंडात्मक निर्देश दिए जाएं।
महोदय, यदि इस विषय को गंभीरता से न लिया गया तो न केवल CSR की मूल भावना को ठेस पहुंचेगी, बल्कि जनहित और शासन की साख को भी नुकसान होगा। अतः आपसे अपेक्षा है कि आप इस प्रकरण में शीघ्र संज्ञान लेकर आवश्यक एवं कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।