पवित्र छड़ी पहुची केदारनाथ धाम, बाबा की पूजा-अर्चना कर अमन-चैन व खुशहाली की प्रार्थना की, जानिए…

उत्तराखण्ड / सुमित यशकल्याण।

उत्तराखण्ड / केदारनाथ। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े द्वारा पवित्र छड़ी यात्रा ने बुधवार को बाबा केदारनाथ धाम में पूजा-अर्चना की तथा राष्ट्र में अमन चैन व खुशहाली की प्रार्थना की। पवित्र छड़ी के केदारनाथ धाम पहुचने पर बद्री केदार मन्दिर समिति के पदाधिकारियों तथा तीर्थ पुरोहितों ने उसकी पूजा-अर्चना की तथा अंतर्राष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज व साधुओं के जत्थे का स्वागत किया। पवित्र छड़ी के केदारनाथ धाम पहुचने से पूर्व रूद्रप्रयाग में श्रीमहंत शंकरगिरि ने उसका स्वागत किया तथा उत्तरकाशी में शोभायात्रा निकाली। ढोल-दमाउ के साथ निकली शोभायात्रा का जगह-जगह स्थानीय नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया तथा संतो का आर्शीवाद प्राप्त किया। पवित्र छड़ी को पौराणिक तीर्थ कोटेश्वर महादेव पूजा-अर्चना के लिए ले जाया गया। जहां पवित्र अलकनंदा नदी में स्नान के पश्चात पौराणिक शिवमन्दिर जो कि एक गुफा में स्थित है में पूजा-अर्चना की गयी। श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज ने कोटेश्वर महादेव मन्दिर का महत्व बताते हुए कहा कि पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान शिव से वरदान प्राप्त करने के बाद जब भस्मासुर उन्ही के सिर पर हाथ रखकर भस्म करना चाह रहा था तब भगवान शिव ने भगवान विष्णु से अपने प्राणों की रक्षा के लिए इसी स्थान पर प्रार्थना की थी और स्वयं एक गुफा में छिप गए थे। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर यहां भस्मासुर का संहार किया था। जिस गुफा में भगवान शिव छिपे थे वह प्राकृतिक गुफा आज भी श्रद्वालुओं की आस्था व श्रद्वा का केन्द्र बनी हुई है। इस गुफा में स्थित शिवलिंग पर प्राकृतिक रूप से जल की बूंदे हर समय गिरती रहती है। उत्तरकाशी में प्रशासन की ओर से तहसीलदार मंजू राजपूत, नायब तहसीलदार बलवीर शाह, पटवारी प्रदीप नेगी आदि ने पवित्र छड़ी का स्वागत किया तथा पूजा-अर्चना कर केदारनाथ के लिए रवाना किया। गौरीकुण्ड से पैदल मार्ग पर पवित्र छड़ी को तहसीलदार दीवान राणा, कानूनगों अंजवाल व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने पूजा-अर्चना कर रवाना किया।

पवित्र छड़ी को लेकर श्रीमहंत विशम्भर भारती, श्रीमहंत पुष्करगिरि, श्रीमहंत कुशगिरि, महंत वशिष्ठ गिरि, महंत रणधीर गिरि, महंत आजाद गिरि, महंत पारसपुरी, महंत गौतम गिरि, राज गिरि, लालगिरि, अमृतपुरी, धर्मेन्द्र पुरी आदि साधु-संत हर-हर महादेव के जयधोष करते हुए चल रहे थे।

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