आत्मज्ञान की साधना से ही मनुष्य का कल्याण संभव है -सतपाल महाराज।

हरिद्वार। आत्मज्ञान की साधना से ही मनुष्य का कल्याण संभव है। आत्मा के ज्ञान को गुरु महाराज जी की सेवा करके अपने जीवन का कल्याण करना चाहिए। यही महापुरुषों का रास्ता है, तभी कहा है- महाजनों येन गता: स पंथा। यह वह रास्ता है, जिस पर महापुरुष चले, उस पर चलकर आत्मज्ञान की प्राप्ति की है। उसी आत्मज्ञान के रास्ते पर चलकर अपना कल्याण करें, यह सनातन मार्ग है। इसी रास्ते पर चलकर मानव का कल्याण होता है। यह उदघोष रानीपुर स्थित दशहरा मैदान बीएचईएल, सेक्टर -04 में सद्भावना सम्मेलन के दूसरे दिन आध्यात्मिक गुरु सतपाल महाराज ने अपार जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहे। सम्मेलन का आयोजन श्री प्रेमनगर आश्रम द्वारा किया जा रहा है।

महाराज ने आगे कहा कि संत कभी किसी से उसकी जात-पात नहीं पूछते हैं, मानव को मानव मान करके मानव की सेवा करना चाहते हैं और मानव को आत्मज्ञान देकर उसे यह लखाना चाहते हैं कि इन जाति-पाति की भ्रांतियां में मत पड़ो, आप क्या हो, वह असीम शक्ति आपके अंदर है और आप अपने आप को जानो। भगवान राम का उल्लेख आता है कि प्रभु राम भीलनी के पास जाते हैं और कहते हैं कि जात-पात मान बड़ाई को नहीं, मैं तो केवल भक्ति का नाता मानता हूँ।
महाराज ने कहा कि जब हम लोग भगवान को याद करते हैं, भाव से पुकारते हैं तो निश्चित रूप से भगवान हम सब की सहायता के लिए प्रकट हो जाते हैं। जैसे आप सभी जानते हैं कि दूध से दही और दही से मक्खन और मक्खन से घी प्रकट होता है, ऐसे ही जब हम अपने हृदय से पूर्ण समर्पण के साथ भगवान को याद करते हैं तो भगवान सहायता करने के लिए किसी न किसी रूप में हम सब की सहायता करते हैं हम सब ध्यान की प्रक्रिया को समझें और समझ कर अधिक से अधिक ध्यान व भजन-सुमिरन कर भक्ति की संपदा को एकत्र करें। यही कमाई हम सभी के साथ जाने वाली है। संसार की कमाई संसार में ही रह जाएगी। आज तक कोई भी भौतिक कमाई को संसार से नहीं ले गया।
महाराज के पावन जन्मोत्सव पर पूजा का आयोजन किया गया। जिसमें परिजनों सहित देश-विदेश से पधारे अतिथिगणों ने महाराज को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर माता अमृता ने कहा कि महाराज जी का जीवन बचपन से ही बहुत संघर्षमय रहा है। कितनी ही उनके जीवन में बाधाएं आई लेकिन उन्होंने सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा। महाराज जी हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। हमें उनकी आज्ञा में रहकर, उनके बताए गए मार्ग पर चलना है। तब ही हमारा जीवन सुखमय होगा। विभुजी महाराज सहित अन्य विभूतियों ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम से पूर्व महाराज, माता अमृता व अन्य विभूतियों का माल्यापर्ण कर स्वागत किया गया तथा संत-महात्माओं ने अपने सार गर्भित विचार रखे। इस मौके पर देश-विदेश से सैकड़ों की संख्या में भक्तगणों ने कार्यक्रम में पहुँच कर महाराज के प्रवचन और दर्शनों से लाभ उठाया। कार्यक्रम में रीवा के राजा पुष्पराज सिंह सपरिवार पधारे। भजन गायकों ने महाराज को जन्मदिन की बधाई दी। मंच संचालन महात्मा हरिसंतोषानंद ने किया।

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