बड़ी खबर, सहायक रजिस्ट्रार ने तीनों महंत, महेश्वरदास, दुर्गादास व अद्वेतानंद के दोनों प्रस्तावों को किया निरस्त, अखाड़े के संविधान के विरुद्ध किए गए थे प्रस्ताव, जानिए मामला…

हरिद्वार/ प्रयागराज। बड़ा उदासीन अखाड़े में चल रहे विवाद में कार्यालय सहायक रजिस्टर फार्म सोसाइटीज एंड चिट्स, प्रयागराज ने बड़ा फैसला सुनाया है। सहायक रजिस्ट्रार कौशलेंद्र सिंह ने अहम फैसला देते हुए 02 मई 2023 व 03 मई 2023 को श्री महंत महेश्वर दास, महंत दुर्गादास महंत अद्वैतानंद द्वारा किए गए प्रस्ताव को निरस्त कर दिया है।

दरअसल 02 मई 2023 को अखाड़े के तीन महंतो ने श्री महेश्वर दास, महंत दुर्गादास और महंत अद्वैतानंद महाराज द्वारा एक प्रस्ताव पास कर श्री महंत रघुमुनि महाराज, कोठारी महंत दामोदरदास महाराज, महंत अग्रदास और महंत दर्शन दास को अखाड़े के पदों से हटा दिया था। 03 मई 2023 को अखाड़े का कार्यवाहक सचिव श्री व्यास मुनि व सहायक सचिव श्री हंसमुनि को बनाने का प्रस्ताव किया था, उक्त प्रस्ताव को महंत रघुमुनि महाराज ने अवैध और अखाड़े के संविधान के विरुद्ध बताते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन, प्रयागराज की कोर्ट में चैलेंज किया था। जिस पर सुनवाई करते हुए सीनियर डिवीजन कोर्ट प्रयागराज ने 23 मई में उक्त प्रस्ताव को स्टे कर दिया था।

उक्त प्रस्ताव के खिलाफ सहायक रजिस्ट्रार प्रयागराज के कार्यालय में भी वाद दायर किया गया था, तथा उच्च न्यायालय में भी एक रिट दायर की थी, माननीय उच्च न्यायालय ने 19 अक्टूबर 2023 को सहायक रजिस्ट्रार को इस मामले की 15 दिसंबर 2023 से पूर्व निस्तारण करने के निर्देश दिए थे।

दोनों पक्षों ने अपने अभिलेख प्रस्तुत किए, साक्ष्य दिए, सहायक रजिस्ट्रार ने सुनवाई करते हुए तीनों महंतो द्वारा 02 व 03 मई को किए गए दोनों प्रस्तावों को निरस्त कर दिया है, सहायक रजिस्ट्रार ने आदेश में कहा है कि जो प्रस्ताव 02 मई 2023 में महंत रघुमुनी, कोठारी महंत दामोदरदास, महंत अग्रदास और महत्व दर्शनदास के खिलाफ किया गया था, वह नियमावली के विरुद्ध थे, 03 मई 2023 को जो प्रस्ताव दूसरा पारित किया गया था, जिसमें व्यास मुनि को कार्यवाहक सचिव व सहायक सचिव के तौर पर श्री हंसमुनि का चयन किया गया था, वो भी नियमावली के विरुद्ध था, अखाड़े के संविधान और नियमावली में कोई कार्यवाहक सचिव व सहायक सचिव बनने का कोई प्रावधान नहीं है, जिसके चलते यह दोनों का चयन विधि मान्य नहीं है, दोनों ही प्रस्तावों को अखाड़े की पंजीकृत नियमावली के विरुद्ध मानते हुए सहायक रजिस्ट्रार ने निरस्त कर दिया है।

सहायक रजिस्ट्रार के आदेश के बाद अब उदासीन संप्रदाय में तीनों महंतो के कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

बड़ा उदासीन अखाड़े के संत निर्मल दास महाराज ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे सत्य की जीत बताया है, निर्मल दास ने कहा कि ये महंत दुर्गादास द्वारा किया गया षड्यंत्र था, जिसमें उन्होंने कोर्ट कचहरी के चक्कर में अखाड़े के धन का दुरुपयोग किया है, जो महंत दुर्गादास से व्यक्तिगत रूप से वसूला जाना चाहिए, उन्होंने दुर्गादास पर पहले 2021 हरिद्वार के कुंभ को खराब करने और अब आगे इलाहाबाद कुंभ को खराब करने का भी आरोप लगाया है। अखाड़े की पैसे की बर्बादी की वसूली दुर्गादास से करने के साथ-साथ उन्होंने पश्चिम पंगत उदासीन संप्रदाय के सभी संतो से सार्वजनिक रूप से माफी मांगे जाने की भी मांग की है।

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