बीएचईएल, देसंविवि व शांतिकुंज में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई विश्वकर्मा जयंती…
हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।
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बीएचईएल में हर्षोल्लास से मनाई गई विश्वकर्मा जयंती…
हरिद्वार। हस्तशिल्प, उद्योग, अभियांत्रिकी तथा वास्तु के आराध़्य भगवान विश्वकर्मा का जयन्ती दिवस शनिवार को बीएचईएल हरिद्वार में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस उपलक्ष्य में बीएचईएल की दोनों इकाईयों हीप तथा सीएफएफपी में “श्री विश्वकर्मा पूजन” का आयोजन किया गया। बीएचईएल हरिद्वार के कार्यपालक निदेशक प्रवीण चन्द्र झा ने दोनों ही इकाइयों में आयोजित पूजा अनुष्ठानों में प्रतिभागिता की ।
विश्वकर्मा जयन्ती के अवसर पर सभी कर्मचारियों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए श्री प्रवीण चन्द्र झा ने कहा कि विश्वकर्मा पूजन हमें सुख, शांति एवं सृजन की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि यह पर्व हमें सिखाता है कि निष्काम भाव से किया गया कर्म ही संसार की सबसे पवित्र पूजा है। झा ने कहा कि अपने कार्य के प्रति सम्पूर्ण समर्पण ही सफलता की कुंजी है।
इस पवित्र गरिमामय अवसर पर महाप्रबंधक (प्रभारी) सीएफएफपी वी.के. रायजादा सहित अनेक महाप्रबन्धकगण, वरिष्ठ अधिकारी, कर्मचारी तथा यूनियन एसोसिएशन एवं फैडरेशन्स के पदाधिकारी आदि उपस्थित रहे।
देसंविवि व शांतिकुज ने उत्साहपूर्वक मनाई विश्वकर्मा जयंती…
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हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय और शांतिकुंज स्थित स्वावलंबन कार्याशाला, विद्युत विभाग परिसर में हवन के साथ विश्वकर्मा जयंती मनाई गयी। इस दौरान रचनात्मकता व उद्यमशीलता के इस देवता की अभ्यर्थना के साथ उनके प्रतीक के रूप में पुस्तक, पैमाना, जलपात्र एवं सूत्र-धागा, सृजन के इन अनिवार्य माध्यमों की विशेष पूजा-अर्चना की गई।
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यज्ञ संचालक आचार्यों ने कहा कि सृजन के लिए चाहिए- ज्ञान (पुस्तक), सही मूल्यांकन (पैमाना), शक्ति-साधन (पात्रता) एवं कौशल का सतत क्रम (सूत्र)। उन्होंने कहा कि इस समय परमात्म-सत्ता काल-समय की गति बदलने के लिए महाकाल तथा नवसृजन अभियान को गति देने के लिए “विश्वकर्मा” के रूप में सक्रिय है। अखिल विश्व गायत्रीप परिवार प्रमुख एवं देसंविवि के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने शिल्पशास्त्र का कर्ता विश्वकर्मा की रचनात्मकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान भाषा के अनुसार उन्हें श्रेष्ठ इंजीनियर कह सकते हैं। कुलाधिपति ने कहा कि हिन्दू मान्यता के अनुसार देवताओं के शिल्प के रूप में विश्वकर्मा जी विख्यात थे। सृष्टि के निर्माण में शिल्पकलाधिपति भगवान विश्वकर्मा ने दुनिया को बनाने में विशेष तकनीकियों का प्रयोग किया है।
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देसंविवि में हुए यज्ञ में विद्यार्थियों व आचार्यों ने तथा शांतिकुंज में हुए हवन में वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भागीदारी कर सृजन की देवता से सम्पूर्ण समाज के नवनिर्माण की प्रार्थना की। इस अवसर पर शांतिकुंज एवं देवसंस्कृति विवि के इंजीनियर्स सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।