श्रद्धा व विश्वास मन व बुद्धि के आवश्यक साधन है -सूर्यकांत बलूनी।

हरिद्वार। जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के चौथे दिन की कथा का श्रवण कराते हुए कथाव्यासस सूर्यकांत बलूनी ने कहा कि श्रद्धा व विश्वास मन व बुद्धि हेतु आवश्यक साधन हैं। मन का ही एक रूप कश्यप है। अर्थात जो मन ब्रह्म दर्शन करे। कथाव्यास ने कहा कि बुद्धि के 13 रूप हैं। उनमें सतोगुणी बुद्धि अदिति है। जिसके पुत्र देवता हैं। तमोबुद्धि दिति है। जिसके पुत्र दानव हैं। दिति ने शिव तप फल से बर्जांग का जन्म दिया। बर्जांग यानि देहाभिमान और उसका पुत्र हुआ तारकासुर। तारकासुर में काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर 06 दोष हैं। श्रद्धायुक्त बुद्धि रूप गौरी ने कार्तिकेय को जन्म दिया। कार्तिकेय के 06 मुख हैं- ज्ञान, वैराग्य, भक्ति, सत्कर्म, विवेक, समर्पण। कार्तिकेय ने तारकासुर रूपी समस्या का समाधान किया। इसके पूर्व जेल अधीक्षक मनोज आर्य व श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के अध्यक्ष व्यासपीठ का पूजन कर रूद्राभिषेक किया। जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने कहा कि धार्मिक आयोजन में भाग लेने से सात्विक गुणों का विकास होता है। कथा के प्रभाव से कैदियों में सात्विक गुणों का विकास हो और वे सद्मार्ग का अनुसरण कर अपने परिवार और समाज की उन्नति में योगदान दें। इसी उद्देश्य के साथ कथा का आयोजन किया जा रहा है। श्री अखंड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि कैदियों की मनोदशा में बदलाव लाने के लिए समय-समय पर धार्मिक आयोजन करने के लिए जेल अधीक्षक मनोज आर्य बधाई और साधुवाद के पात्र हैं। सभी सामाजिक संगठनों को इसमें योगदान करना चाहिए। इस अवसर पर श्री अखंड परशुराम अखाड़े के विद्यार्थी जलज कौशिक, विष्णु गॉड, अनिल तिवारी, अर्णव, जितेंद्र सैनी, मनोज अग्रवाल, विषम कुमार, धर्मजीत आदि मौजूद रहे।

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