जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर की ओर से सत्कर्म मिशन अन्न क्षेत्र शुरू,बिना भेदभाव करे भोजन

गोपाल रावत


हरिद्वार। कुम्भ पर्व के आगाज के साथ ही अखाड़ों में अन्न क्षेत्र प्रारम्भ होने का दौर भी शुरू हो गया है। जूना अखाड़े ने पहले करते हुए गत 27फरवरी को दुःखहरण हनुमान मन्दिर जूना अखाड़ा घाट पर अन्नपूर्णा अन्न क्षेत्र प्रारम्भ करने के बाद आज रविवार को सप्तसरोवर क्षेत्र स्थित भागीरथीपुरम में श्री प्रेमगिरि आश्रम में अखाड़े के महामण्डलेश्वर हिमालयन योगी स्वामी वीरेन्द्रानंद गिरि ने सत्कर्म मिशन अन्न क्षेत्र प्रारम्भ कर दिया है।

अन्न क्षेत्र का शुभारम्भ करते हुए जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज ने कहा कि जूना अखाड़े की प्राथमिकता भोजन,शिक्षा तथा चिकित्सा है। इसलिए कुम्भ मेलों में जूना अखाड़े द्वारा दर्जनों अन्नक्षेत्र व लंगर चलाए जाते है जहां साधु संतो के अतिरिक्त बिना किसी भेदभााव के सभी को भोजन उपलब्ध कराया जाता है। जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेश पुरी ने कहा कि अखाड़े द्वारा बनारस,प्रयागराज उज्जैन में शिक्षण संस्थान भी चलाए जा रहे है।

हिमालयन योगी स्वामी वीरेन्द्रानंद गिरि महाराज ने कहा वह सत्कर्म मिशन के माध्यम से उत्तराखण्ड के सीमान्त क्षेत्रों में शिक्षा का प्रचार प्रसार कर रहे है। उन्होने बताया एशियन एकेडमी के माध्यम से सीबीएससी बोर्ड के 10 इण्टर काॅलेज संचालित किए जा रहे है। शीघ्र ही उनके सन्यास गुरू अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक व अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज के निर्देश पर पिथौरागढ़,धारचूला सीमान्त क्षेत्र में 40बेड का अत्याधुनिक चिकित्सालय स्थापित किये जाने की दिशा में कार्य चल रहा है। उत्तराखंड से हो रहे पलायन को रोकने के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि सीमान्त क्षेत्रों में शिक्षा व चिकित्सा की उच्च सुविधाएं उपलब्ध करायी जाए। इससे जहा नागरिको का जीवन स्तर उॅचा उठेगा वही रोजगार के अवसर बढ़ने से पलायन पर भी रोक लगेगी। उन्होने बताया उत्तराखंड के उपेक्षित पौराणिक तीर्थो के जीर्णोद्वार तथा उसके प्रचार-प्रसार के लिए भी जूना अखाड़ा कार्य कर रहा है। गत दो वर्षो से उत्तराखण्ड के पौराणिक तीर्थ स्थलों की यात्रा के लिए आरम्भ की गयी पवित्र छड़ी यात्रा के माध्यम से इसकी शुरूआत कर दी गयी है। पौराणिक तीर्थो का प्रचार प्रसार भी पलायन को रोकने में सहायक होगा।

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