भगवान श्रीचंद्र की 528वीं जयंती। आज शहर में निकाली गई शोभायात्रा, ये गणमान्य लोग हुए शामिल, जानिए…
हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।
हरिद्वार। उदासीन आचार्य जगदगुरू भगवान श्रीचंद्र की 528वीं जयंती के उपलक्ष्य में श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन व श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के संयोजन में चन्द्राचार्य चौक से भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत दामोदर दास महाराज, श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मुखिया महंत भगतराम महाराज व पूर्व विधायक संजय गुप्ता ने पूजा-अर्चना कर व नारियल फोड़कर शोभायात्रा का शुभारंभ किया। शोभायात्रा बैण्ड बाजों व आकर्षक झांकियों से सुसज्जित शोभायात्रा देवपुरा चौक, शिवमूर्ति, चित्रा टाकीज, निरंजनी अखाड़ा, तुलसी चौक, डामकोठी, शंकराचार्य चौक बंगाली मोड़ से होते हुए राजघाट स्थित श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में संपन्न हुई। श्रद्धालु-भक्तों द्वारा पुष्पवर्षा कर शोभायात्रा का स्वागत किया गया।
इस अवसर पर पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में ही भक्तों का कल्याण संभव होता है। उन्होंने कहा कि जन-जन के आराध्य भगवान श्रीचंद्र के दिखाए मार्ग का अनुसरण करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन व श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन समाज कल्याण में अहम योगदान कर रहे हैं।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने कहा कि उदासीनाचार्य भगवान श्रीचंद्र समस्त संत समाज के प्रेरणास्रोत हैं। साक्षात शिव स्वरूप भगवान श्रीचंद्र ने पूरे देश का भ्रमण कर समाज में फैली अज्ञानत और कुरीतियों को दूर किया। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए राष्ट्र कल्याण में योगदान करना चाहिए।
श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र ने विभिन्न मत सम्प्रदायों में बंटे समाज को एकजुट कर व वैचारिक मतभेदों को समाप्त कर समन्वय का सूत्र प्रदान किया।
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत दामोदर दास महाराज एवं श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मुखिया महंत भगतराम महाराज ने कहा कि ज्ञान भक्ति के श्रेष्ठ सिद्धांत को प्रतिपादित करने वाले भगवान श्रीचंद्र की शिक्षाएं युगों-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी। सभी को उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करते हुए मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए।
स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज एवं स्वामी हरिचेतनानन्द महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र ने धूणे के रूप में वैदिक यज्ञोपासना को नया रूप दिया तथा निर्वाण साधुओं के रहने का आदर्श प्रतिपादित कर निवृत्ति प्रधान धर्म की प्रतिष्ठा की। भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए शैव, वैष्णव, शाक्त, सौर तथा गणपत्य मतावलंबियों को संगठित कर पंचदेवोपासना की प्रतिष्ठा की।
इस अवसर पर महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल मुनि, महंत जयेंद्र मुनि, महंत दामोदरशरण, स्वामी चिदविलासानन्द, महंत प्रेमदास, स्वामी हरिहरानन्द, स्वामी रविदेव शास्त्री, संत जरनैल सिंह, स्वामी ऋषिश्वरानन्द, पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, महंत गंगादास, महंत जसविन्दर सिंह, महंत अरूणदास, महंत रघुवीर दास, महंत सूरजदास, विधायक आदेश चौहान, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानन्द, पूर्व मेयर मनोज गर्ग, समाजसेवी भूपेंद्र कुमार सहित कई संत महापुरूष मौजूद रहे।