एसएमजेएन (पीजी) कॉलेज के बी.काम तृतीय वर्ष के छात्र अक्षत त्रिवेदी ने गौरैया संरक्षण के लिए जगायी अलख…
हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।
हरिद्वार। एसएमजेएन (पीजी) कॉलेज के बी.काम तृतीय वर्ष के छात्र अक्षत त्रिवेदी ने गौरैया संरक्षण के लिए एक अलख जगायी हुई है। वह पिछले दो वर्ष से निरन्तर गौरेया के लिए घौंसलें बना कर विभिन्न स्थानों पर लगा कर गौरेया संरक्षण में अपना अभूतपूर्व योगदान दे रहा है। उल्लेखनीय है कि अक्षत त्रिवेदी एसएमजेएन (पीजी) कॉलेज के पयार्वरण प्रहरी के रूप में कार्य कर रहे हैं इसी कड़ी मे आज रविवार को विश्व गौरेया दिवस की पूर्व सन्ध्या पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष एवं कालेज प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्र पुरी द्वारा कालेज के प्राचार्य, हिमालय क्लब एवं हरिद्वार नागरिक मंच के अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार बत्रा, डॉ. विजय शर्मा पर्यावरणविद एवं अक्षत त्रिवेदी को इस सराहनीय कार्य के लिए कल विश्व गौरेया संरक्षण दिवस पर सम्मानित किया जायेगा।
इस अवसर पर श्री महंत रविन्द्र पुरी ने कहा कि गौरेया विलुप्त प्राय सी हो गईं हैं। शहरीकरण एवं पेड़ों के कटने से घरों के आंगन में फुदकने और चहकने वाली गौरेया देखने को नहीं मिल रही है। ऐसी स्थिति में गौरेया-संरक्षण के लिए यह मुहिम एक मिसाल कायम करेगी। उन्होंने कॉलेज के पर्यावरण प्रकोष्ठ के अन्तर्गत चलायी जा रहीं इस मुहीम की भूरि भूरि प्रशंसा की। श्री महंत रविन्द्र पुरी ने कहा कि गौरेया संरक्षण के लिए कालेज के पर्यावरण प्रकोष्ठ के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों, स्थानों में घोसले भी लगवाये गए हैं।
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि गौरेया एक छोटी चिड़िया मात्र नहीं है अपितु यह हमारे साहित्य, कला व संस्कार में रची बसी है. आज इसकी संख्या समाप्त हो रही है जो मानव समाज विशेषकर पर्यावरण के लिए एक गम्भीर संकट हैं इसके संरक्षण, संवर्धन की जिम्मेदारी प्रत्येक मानव की है। अक्षत त्रिवेदी के द्वारा गौरेया संरक्षण के लिए किया जा रहा यह कदम अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। इसके लिए हमें मिल कर संरक्षण-संवर्धन का संकल्प लेंने की आवश्यकता है तभी हम इसके अस्तित्व को बचा सकते हैं। डाॅ. बत्रा ने बताया कि कालेज प्रबंधन ने अतिथियों को फूल के बुके के स्थान पर गौरेया के घोसला उपहार में देने का अभिनव प्रयोग किया हुआ है। पिछले कुछ समय से गौरैया को लेकर लोगों की जागरूकता में इजाफा हुआ है। शहरों में लोग चिड़ियाओं के लिए घोंसले लगा रहे हैं। इससे गौरेया संरक्षण की मुहिम को सम्बल मिला है।