भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित कामना को पूर्ण करने वाली -कथा व्यास पं. पवन कृष्ण शास्त्री।

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के तत्वाधान में श्री परशुराम घाट गोविंदपुरी हरिद्वार में नवरात्रि के पावन अवसर पर नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के सप्तम दिवस की कथा का श्रवण कराते हुए कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री जी ने बताया
नवरात्रि की अष्टमी को महाष्टमी या दुर्गाष्टमी कहते हैं जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इस दिन माता के आठवें रूप महागौरी की पूजा और आराधना की जाती है।
कथा व्यास पंडित पवन कृष्ण शास्त्री जी ने दुर्गाष्टमी का विशेष महत्व बताते हुए कहा कि नवरात्रि के 08 वें दिन की देवी मां महागौरी हैं। मां गौरी का वाहन बैल और उनका शस्त्र त्रिशूल है। परम कृपालु मां महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से संपूर्ण विश्व में विख्यात हुईं। भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित कामना को पूर्ण करने वाली और भक्तों को अभय, रूप व सौंदर्य प्रदान करने वाली है अर्थात शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के विष व्याधियों का अंत कर जीवन को सुख-समृद्धि व आरोग्यता से पूर्ण करती हैं।

शास्त्री जी ने बताया कि अधिकतर घरों में अष्टमी की पूजा होती है। देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, मनुष्य आदि सभी अष्टमी और नवमी को ही पूजते हैं।
कथाओं के अनुसार इसी तिथि को मां ने चंड-मुंड राक्षसों का संहार किया था।
नवरात्रि में महाष्टमी का व्रत रखने का खास महत्व है। मान्यता अनुसार इस दिन निर्जला व्रत रखने से बच्चे दीर्घायु होते हैं।
अष्टमी के दिन सुहागन औरतें अपने अचल सुहाग के लिए मां गौरी को लाल चुनरी जरूर चढ़ाती हैं।
अष्टमी के दिन कुल देवी की पूजा के साथ ही मां काली, दक्षिण काली, भद्रकाली और महाकाली की भी आराधना की जाती है। माता महागौरी अन्नपूर्णा का रूप हैं। इस दिन माता अन्नपूर्णा की भी पूजा होती है इसलिए अष्टमी के दिन कन्या भोज और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।

अष्टमी के दिन नारियल खाना निषेध है, क्योंकि इसके खाने से बुद्धि का नाश होता है। इसके आवला तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना निषेध है। माता को नारियल का भोग लगा सकते हैं। कई जगह कद्दू और लौकी का भी निषेध माना गया है क्योंकि यह माता के लिए बलि के रूप में चढ़ता है।
यदि अष्टमी को पराण कर रहे हैं तो विविध प्रकार से महागौरी का पूजन कर भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए विविध प्रकार से पूजा-हवन कर 09 कन्याओं को भोजन खिलाना चाहिए और हलुआ आदि प्रसाद वितरित करना चाहिए। खीर, मालपुए, मीठा हलुआ, केले, नारियल, मिष्ठान्न, घेवर, घी-शहद, तिल और गुड़ से मां भगवती का पूजन अष्टमी को करने से कष्ट, दुःख मिट जाते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती। मां की शास्त्रीय पद्धति से पूजा करने वाले सभी रोगों से मुक्त हो जाते हैं और धन-वैभव संपन्न होते हैं।
महाष्टमी के दिन महास्नान के बाद मां दुर्गा का षोडशोपचार पूजन किया जाता है। महाष्टमी के दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है इसलिए इस दिन मिट्टी के नौ कलश रखे जाते हैं और देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान कर उनका आह्वान किया जाता है।
भारत के कुछ राज्यों में नवरात्रि के नौ दिनों में कुमारी या कुमारिका पूजा होती है। इस दिन कुमारी पूजा अर्थात अविवाहित लड़की या छोटी बालिका का श्रृंगार कर देवी दुर्गा की तरह उनकी आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार 02 से 10 वर्ष की आयु की कन्या कुमारी पूजा के लिए उपयुक्त होती हैं। कुमारी पूजा में ये बालिकाएं देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं- कुमारिका, त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहिणी, काली, चंडिका, शनभावी, दुर्गा और भद्रा देवी के रूप में कन्याओं का पूजन करना चाहिए।

पंडित अधीर कौशिक जी ने बताया कि श्री अखंड परशुराम अखाड़ा नवरात्रि के इस पावन अवसर पर इस कथा को अंकिता भंडारी एवं पृथक राज्य उत्तराखंड के लिए शहीद आंदोलनकारियों को समर्पित करते हुए उत्तराखंड सरकार से मांग करता है कि अंकिता भंडारी हत्याकांड में दोषियों को जल्दी से जल्दी फांसी की सजा एवं सीबीआई जांच हो एवं पृथक राज्य उत्तराखंड के मांग करते हुए जिन आंदोलनकारियों पर बर्बरता की गई एवं रामपुर तिराहे पर उनकी निर्मम हत्याएं की गई उन हत्यारों को अभी तक कोई दंड नहीं मिला जल्दी से जल्दी उन हत्यारों को दंड मिले। यही मांग करते हुए
श्री अखंड परशुराम अखाड़ा आज 02 अक्टूबर गांधी जयंती एवं पंडित लाल बहादुर शास्त्री जी फूल अर्पित पावन अवसर पर सभी कथा श्रोताओं के साथ मिलकर दीपदान करते हुए सभी वीर शहीदों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है

इस पावन अवसर पर श्री राम कुमार, रवि कांत शर्मा, पंडित यशपाल शर्मा मुख्य अतिथि प्रवीण शर्मा अध्यक्ष हरिद्वार, महामंत्री विमल सक्सेना भगवान परशुराम जी का चिन्ह देकर सम्मान किया, व्यापार मंडल वरिष्ठ समाजसेवी कार्तिक, चेयरमैन जोगिंदर तनेजा, विवेक मिश्रा, भारत शर्मा, राजू शर्मा, पंडित बाबू भैया, बीनू भाटिया, सोमपाल कश्यप, राकेश कुमार, सरोज शर्मा, कमला देवी, इशिता शर्मा, पूजा शर्मा सभी भक्तजनों …..

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