श्री गंगा सभा ने किया धर्म, संस्कृति व अध्यात्म के संरक्षण को लेकर गोष्ठी का आयोजन

सुमित यशकल्याण

हरिद्वार। श्री गंगा सभा (रजि0) हरिद्वार द्वारा एक विचार गोष्ठी सभा के शाखा कार्यालय हरकी पैड़ी पर आयोजित की गयी, जिसमें “धर्म, संस्कृति व अध्यात्म के संरक्षण में हरिद्वार की भूमिका” पर विचार किया गया। गोष्ठी में विशेष रूप से हरिद्वार के समस्त संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को आमंत्रित करके उनके सुझाव संग्रहित किये गये। ब्रह्मचारी राम कृष्ण संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य घनश्याम उनियाल ने कहा कि संस्कृत और संस्कृति के संरक्षण में पौराणिक काल से तीर्थों की अहम भूमिका रही है। इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य करने के लिये श्री गंगा सभा जैसे बड़े मंच की आवश्यकता है। श्री रामानुज संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि संस्था के संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय जी ने ऋषि संस्कृति, संस्कृत, गंगा व तीर्थों की रक्षा के लिये उल्लेखनीय कार्य किये, उन्ही के पदचिन्हों पर चलते हुए श्री गंगा सभा अध्यात्म व धर्म की ध्वजा को ऊँचा करने के लिये कार्य करे जिसमें हरिद्वार के संस्कृत जगत का पूर्ण सहयोग रहेगा।

सभा के महामंत्री तन्मय वाशिष्ठ ने सभी के अनुभवों से लाभ लेकर श्री गंगा सभा द्वारा ऋषि परम्परा व हरिद्वार तीर्थ की मर्यादा के लिये उल्लेखनीय कार्य करने की बात कही और कहा कि हरिद्वार पर्यटन के लिये नही अपितु तीर्थटन के लिये प्रसिद्ध होना चाहिये।
श्री गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा ने गोष्टी में पधारे सभी अतिथियों का धन्यवाद किया।

गोष्ठी में करुणेश मिश्रा ,सुरेंद्र सिखौला, हरिओम जयवाल , अनिल सिखोला, भगवान दास, पंडित हेमंत तिवारी, पंडित बालकृष्ण त्रिपाठी, डॉ वाणी भूषण भट्ट, डॉ प्रकाश चंद्र जोशी, डॉ राजेंद्र प्रसाद गौनियल, बलदेव प्रसाद चमोली, दिनेश चंद्र घिल्डियाल शिवप्रसाद ढकाल आदि उपस्थित रहे।

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