भलाई बुराई जिसमें संग-संग फूले फले वही संसार है -सूर्यकांत बलूनी।

हरिद्वार। जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के पांचवे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का श्रवण कराते हुए कथाव्यास सूर्यकांत बलूनी ने कहा कि भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, विवेक, सत्कर्म, समर्पण रूपी गुणों से परिपूर्ण कार्तिकेय ने काम, क्रोध, लोह, मोह, मद, मत्सर रूपी अवणुणों को धारण करने वाले तारकासुर का अंत किया और देव सेनापति कहलाए। माता-पिता की पूजा पूर्वक जीवन यात्रा करने वाले गणेश ने ऋद्धि-सिद्धी शुभ लाभ पाया और स्वयं के साथ जग का भी मंगल कर रहे हैं। कथा व्यास ने कहा कि भलाई बुराई जिसमें संग-संग फूले फले वही संसार है। तारकासुर के तीन पुत्र हुए। जिनमें तारकाक्ष ने स्वर्ग में स्वर्णपुरी, विद्युन्माली ने रजत नगरी व कमलाक्ष ने लौहनगरी बसाई। मयदानव इनका मिस्त्री था। कथाव्यास ने कहा कि मन ही मयदानव है। जो अपने तमोगुण से भौतिक शरीर, रजोगुण से सूक्ष्म शरीर और सतोगुण से भीतरी शरीर का निर्माण करता है। भगवान शिव ने श्रावण मास में तीनों को धर्मस्थारूढ़ होकर ध्वस्त किया। इस दौरान जेलर मनोज आर्य, श्री अखंड परशुराम अखाड़े के संरक्षक बलविंदर चौधरी, अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक, जलज कौशिक, सत्यम शर्मा, विष्णु गौड़, पंचपुरी हलवाई समाज के अध्यक्ष सोमपाल कश्यप, राकेश उपाध्याय, आशीष मेहता, अरूणकांत, हिमांशु छलिया, अनिल तिवारी, मनोज अग्रवाल ने व्यासपीठ का पूजन आरती की।

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