भवसागर की वैतरणी है श्रीमद्भागवत कथा -स्वामी रविदेव शास्त्री।

हरिद्वार। कथाव्यास भागवताचार्य स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा भव सागर की वैतरणी है। कथा के प्रभाव से मन में सात्विक विचारों का उदय होता है। जिससे जीवन पूरी तरह बदल जाता है। श्री साधु गरीबदासी धर्मशाला सेवाश्रम ट्रस्ट में ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर डॉ.स्वामी श्यामसुंदरदास शास्त्री महाराज की पांचवी पुण्य अतिथी के अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए कथाव्यास स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सभी पुण्य प्रदान करने वाली अमृतमयी कथा है। गंगा तट पर संत महापुरूषों के सानिध्य में कथा के आयोजन और श्रवण से दोगुना पुण्य लाभ प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा निरंतर बहने वाली ज्ञान की गंगा है। जिसे जितना ग्रहण करो। जिज्ञासा उतनी ही बढ़ती जाती है और कथा के प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। लेकिन कथा श्रवण का लाभ तभी है, जब कथा से मिले ज्ञान को आचरण में धारण किया जाए। पुण्य और मोक्ष प्रदान करने वाली श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने का अवसर भाग्य से मिलता है। इसलिए इस अवसर को कभी गंवाना नहीं चाहिए और दूसरों को भी कथा श्रवण के लिए प्रेरित करना चाहिए। जय मां मिशन की अध्यक्ष साध्वी शरण ज्योति मां, सध्वी जीवन ज्योति मां, साध्वी पूजा ज्योति मां ने कथाव्सास स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज को माता की चुनरी और फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। कथा के मुख्य अहमदाबाद गुजरात निवासी यजमान श्रीमती मीरा देवी व कार्तिभाई दवे ने व्यासपीठ का पूजन कर कथाव्यास से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, स्वामी निर्मलदास, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी दिनेश दास, जदगीश चावला, मौजीराम, भीमचंद, संजय वर्मा, डॉ.पदम प्रसाद सुवेदी, लोकनाथ सुवेदी, शेखर शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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