समाजसेवी राकेश विज ने कोरोनावायरस जैसी महामारी को बताया पारिवारिक रिश्तो में दरार और प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का परिणाम,भावुक होकर सुनाई आपबीती, आप भी सुनिए
सुमित यशकल्याण
हिमाचल प्रदेश/ पालमपुर। देश में तेजी से फैल रहे कोरोनावायरस संक्रमण की लहर पर बोलते हुए समाजसेवी राकेश विज ने कहा है कि समाज में आजकल पारिवारिक रिश्तो में दरार आ गई हैं लोग धन और मोह के चक्कर में अब बुढ़ापे में अपने मां-बाप को घरों से बाहर निकाल दे रहे हैं, जब तक समाज के अंदर इस तरह से होता रहेगा तो इस तरह की महामारी लोगों को आईना दिखाने के लिए आती रहेंगी ,उन्होंने कोरोना महामारी को प्राकृतिक के साथ खिलवाड़ का भी परिणाम बताया है ,
राकेश विज ने अपने जीवन में ही आपबीती बताते हुए कहा कि हम तीन भाई हैं और 20 अक्टूबर को मेरी माता जी का निधन हुआ था, बड़े भाई अश्वनी कुमार विज ने मेरे पिताजी से सारी जायदाद अपने नाम करा ली थी, माताजी के निधन के बाद उसने अंतिम संस्कार और चौथे की रस्म के समय यह कह दिया कि उसके पास तो ₹50 भी नहीं है मैंने और मेरे दूसरे भाई ने मिलकर सभी माता जी के अंतिम संस्कार और अन्य रीति रिवाज किये, हरिद्वार जाकर माता जी की अस्थि गंगा जी मे विसर्जित की, जबकि बड़े भाई का परिवार संपन्न हैं और बच्चे विदेश में सेटल हैं,
उन्होंने भावुक होते हुए बताया कि उन्होंने कुंभ मेले में अपने स्वर्गीय माता पिता की याद में निशुल्क लंगर चलाएं, उनका मानना था कि उनके माता-पिता ही किसी रूप में उनका लंगर चखने आ जाएं, उन्होंने कहा कि मैं ज्यादा अमीर नहीं हूं लेकिन समाज को यह मैसेज देना चाहता हूं कि बुढ़ापे में अपने माता पिता की सेवा करें ना कि उन्हें घर से निकाल कर पाप के भागीदार बने, अगर इस तरह से ही रिश्तो में दरारे आती रही तो आगे चलकर चाचा, चाची ताऊ ताई और बुआ जैसे रिश्तो को भी ढूंढना पड़ेगा,