संत समाज के प्रेरणास्रोत और दिव्य विभूति थे ब्रह्मलीन स्वामी श्यामसुन्दरदास शास्त्री -श्रीमहंत रविंद्र पूरी।

हरिद्वार। ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर डॉ.स्वामी श्यामसुन्दरदास शास्त्री महाराज की पांचवी पुण्यतिथी पर श्री साधु गरीबदासी धर्मशाला सेवाश्रम ट्रस्ट में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में सभी तेरह अखाड़ों के संत महाुरूषों ने ब्रह्मलीन स्वामी श्यामसुन्दरदास शास्त्री का भावपूर्ण स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। आचार्य डॉ.स्वामी हरिहरानंद, भागवताचार्य स्वामी रविदेव शास्त्री एवं महंत दिनेश दास के संयोजन में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर डॉ.स्वामी श्यामसुन्दरदास शास्त्री महाराज आदर्श संत थे। जिन्होंनें जीवन पर्यन्त समाज में आध्यात्मिक चेतना जगाने में योगदान दिया। सभी को उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी श्यामसुन्दरदास शास्त्री महाराज संत समाज के प्रेरणास्रोत और दिव्य विभूति थे। उनके तीनों शिष्य स्वामी हरिहरानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री और स्वामी दिनेश दास जिस प्रकार उनके अधूरे कार्यो को आगे बढ़ा रहे हैं। उससे अन्य युवा संतों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। म.म.स्वामी ललितानंद गिरी,, महंत स्वामी रूपेंद्र प्रकाश एवं महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी श्यामसुन्दरदास शास्त्री महाराज महान संत थे। सनातन धर्म संस्कृति मे प्रचार प्रसार में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। महंत प्रबोधानंद गिरी, स्वामी भगवत स्वरूप व महंत रघुवीर दास ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी श्यामसुन्दरदास शास्त्री महाराज का समाज को धर्म और अध्यात्म की प्रेरणा देकर सद्मार्ग पर अग्रसर करने में अहम योगदान रहा। सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। स्वामी हरिहरानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री व स्वामी दिनेश दास, डॉ.संजय वर्मा ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया और कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें गुरू के रूप में ब्रह्मलीन स्वामी श्यामसुन्दरदास शास्त्री का सानिध्य प्राप्त हुआ। पूज्य गुरूदेव के अधूरे कार्यो को आगे बढ़ाना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। श्रद्धांजलि सभा का संचालन पंडित पदम प्रसाद सुवेदी ने किया। इस अवसर पर कुलपति दिनेशचंद्र शास्त्री, महंत गोविंददास, स्वामी हरिवल्लभदास शास्त्री, स्वामी विज्ञानानंद, महंत नारायण दास पटवारी, महंत सूरज दास, महंत हरिदास, स्वामी राम मुनि, स्वामी ऋषिश्वरानंद, स्वामी शंभू गिरी, स्वामी शिवम महंत, महंत शुभम गिरी, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी निर्मलदास, डॉ.संजय वर्मा, ओमप्रकाश जमदग्नि, डॉ.विशाल गर्ग, दीपक मिश्रा, अनिरूद्ध भाटी सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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