पतंजलि विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षान्त समारोह। हरिद्वार देवभूमि में आना सौभाग्य की बात -राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद।
हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।
हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षान्त समारोह के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार को पतंजलि विश्वविद्यालय पहुँचे जहाँ पर महामहिम ने मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। प्रथम दीक्षान्त समारोह में राष्ट्रपति ने पतंजलि विश्वविद्यालय के नवीन परिसर का उद्घाटन भी किया।
पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षान्त समारोह के कार्यक्रम में शामिल होने पहुँचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का स्वागत पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव जी व आचार्य बालकृष्ण ने किया जिसके उपरान्त महामहिम को स्वागत बैंड के साथ पतंजलि ऑडिटोरियम तक लाया गया। मंच पर महामहिम का स्वागत शॉल व रूद्राक्ष की माला देकर किया गया। वहीं राष्ट्रपति जी को अपने बीच पाकर छात्र-छात्राओं ने महामहिम का स्वागत तालियों की गड़गड़ाहट से किया। पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने विश्वविद्यालय को प्रगति रिपोर्ट पेश की।
वहीं मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित करने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षान्त समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और कहा कि इस दीक्षान्त समारोह में पुरस्कार प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं तथा स्नातक, स्नात्कोत्तर, पी.एच-डी. की उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि हरिद्वार देवभूमि में आना सौभाग्य की बात है। हरिद्वार का हमारी परम्परा में एक विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान विष्णु व भगवान शंकर जी की पावन स्थली व प्रवेश द्वार है।
आज से 10 वर्ष पूर्व योग को लेकर एक तपस्या के रूप में जानते थे और लोग सोचते थे कि योग वही कर सकता है जो सन्यासी होगा। मगर स्वामी रामदेव ने इस परिभाषा को बदल दिया है। आज हर व्यक्ति अपनी दिनचर्या में किसी न किसी रूप में योग अवश्य करता है।
2015 में भारत सरकार के प्रयासों के द्वारा प्रतिवर्ष 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में बनाने का निर्णय लिया गया है। यह वही प्रयास है जिसके परिणामस्वरूप 2016 में योग को यूनेस्को द्वारा विश्व की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल किया गया है।
आज कुछ लोग योग को धर्म के चश्मे से देखते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं है। योग शरीर व मन को स्वस्थ रखने व उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने की एक पद्धति है। आज क्यूबा जैसा राष्ट्र भी योग को मानता है जिसने योग दिवस मनाया। वहाँ के राष्ट्रपति ने खुद मुझसे कहा कि मैं खुद योग करता हूँ, साथ ही सूर्य नमस्कार भी करता हूँ और उसी ही राह पर आज सऊदी अरब में सुश्री मारमाई को योग का प्रचार-प्रसार करने के लिए चुना गया है। यह भारत की बहुत बड़ी जीत है। योग सबके लिए है, योग सबका है।
पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा जो प्रयास किए जा रहे हैं उससे योग व आयुर्वेद के आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विश्वपटल पर गौरवशाली स्थान प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। भारत की ज्ञान परम्परा का सम्मान विश्व समुदाय द्वारा हमेशा से किया जा रहा है, भविष्य में भी किया जाता रहेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं इस वर्ष अप्रेल माह में आना चाहता था मगर कोविड महामारी के कारण यहाँ न आ सका। जिस कारण एक अच्छा कार्य अधूरा रह गया था। मगर यह अधूरा कार्य पूर्ण करने के लिए मैं स्वस्थ व उत्साह के वातावरण के बीच यहाँ पर पहुँचा हूँ।
पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्रथम दीक्षान्त समारोह में बोलते हुए कहा कि 2006 में इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी जो आज योग, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी, दर्शन, संस्कृत, अंग्रेजी, पर्यटन, प्रबंधन, आधुनिक विज्ञान व अनुसंधान के माध्यम के साथ विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। योग व आयुर्वेद आने वाले भविष्य का मूल है। पतंजलि विश्वविद्यालय देश व विदेश में सभी पाण्डुलिपियों का संरक्षण व लेखन प्रकाशन पर सर्वाधिक कार्य कर रही है। इस कार्य को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज भी किया गया है। भविष्य योग व वैदिक संस्कृति का है जहाँ आयुर्वेद से ही लोगों का उद्धार होगा। संसार योग, सनातन संस्कृति का अनुसरण करेंगे जिसकी तरफ आज पूरी दुनिया निहार भी रही है। पतंजलि विश्वविद्यालय यह सभी कार्य पूर्ण करने के प्रति संकल्पित है।
पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पूज्य स्वामी रामदेव ने ऑडिटोरियम में बैठे सभी विद्यार्थियों को एक साथ बैठे देखकर भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि जैसे एक माता-पिता का हृदय श्रेष्ठ व सफल संतान को देखकर गौरवान्वित होता है उसी प्रकार आज मेरा भी हृदय इन बच्चों को देखकर गौरवान्वित हो रहा है। आज अब इन बच्चों की श्रृंखला प्रारंभ हो गई है। अब हमें विश्व विजेता के पुरोधा बन करके अपनी भारत माता का मान बढ़ाना है। आज इसका यह संकल्प दिवस है। मैं गुरुकुल शिक्षा परम्परा से पढ़ा हूँ जिस पर लोग बड़ा प्रश्न खड़ा करते थे, इसका उपहास उड़ाते थे। लेकिन वही शिक्षा व्यवस्था आज सैकड़ों छात्र-छात्राएँ तैयार कर रही हैं। इन बच्चों को उपाधि देकर मुझे अपनी शिक्षा पर गौरव की अनुभूति हो रही है। आज यहाँ से उपाधि प्राप्त करने वाले बच्चों से मैं आशा करता हूँ कि वह धर्म, राजनीति, सामाजिक व जीवन के हर क्षेत्र में अपने पुरुषार्थ की ध्वजा को लहराकर के आगे बढ़ने का कार्य करेंगे। ये सभी विद्यार्थी अपने अंदर से संकल्प लें कि विश्व पटल पर भारत माता का शीष ऊँचा करना है। आज यह पतंजलि विश्वविद्यालय का यह बीज रूप है। आने वाले समय में पतंजलि ग्लोबल पतंजलि यूनिवर्सिटी बनेगी। यह दुनिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी होगी जहाँ 01 लाख से अधिक छात्र सभी विषयों में ज्ञान हासिल करेंगे। जैसे भारत में पहले पूरी दुनिया के लोग आकर के नालंदा व तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय में अध्ययन किया करते थे, अब पतंजलि इन नालंदा तथा तक्षशिला विश्वविद्यालय का नवाचार व नव अवतार पतंजलि की ओर से प्रस्तुत होगा। हमारे भारत के बच्चों को अध्ययन के लिए किसी बाहर के देश में जाना नहीं पड़ेगा अपितु पूरी दुनिया के छात्र-छात्राएँ यहाँ पर आकर के दीक्षा, शिक्षा, संस्कार लेंगे जिससे हमारी सनातनी संस्कृति गौरवान्वित होगी। पतंजलि विश्वविद्यालय व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की दिशा में कार्य कर रहा है। भविष्य में पतंजलि भारतीय शिक्षा बोर्ड बनाने जा रहा है जिससे शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आएगी। पतंजलि इसके प्रति संकल्पित है।
इस अवसर पर कुल 700 विद्यार्थियों को स्नातक उपाधि से सम्मानित किया गया जिसमें बी.ए. योग विज्ञान में कुल 473, बी.एस.सी. योग विज्ञान में 142, बी.पी.ई.एस. (शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद) में 20, बी.ए. दर्शन में 12, बी.ए. व्याकरण में 53 विद्यार्थी शामिल रहे। वहीं 620 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर उपाधि से सम्मानित किया गया जिसमें एम.ए. योग विज्ञान के 354, एम.एस.सी. योग विज्ञान के 191, एम.ए. मनोविज्ञान के 28, एम.ए. दर्शन के 23, एम.ए. संस्कृत साहित्य के 21, एम.ए. संस्कृत व्याकरण के 03 विद्यार्थी शामिल रहे। 01 विद्यार्थी को विशिष्ट आचार्य उपाधि (एम.फिल.) तथा 11 विद्यार्थियों को विद्यावारिधि (पी.एच-डी.) उपाधि से सम्मानित किया गया। साथ ही 78 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के माननीय राज्यपाल ले. जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह, माननीय प्रदेश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, माननीय उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखण्ड धनसिंह रावत ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम में प्रति कुलपति महावीर प्रसाद, पूज्या साध्वी देवप्रिया जी, भाई जयदीप, भाई राकेश, स्वामी परमार्थ देव के साथ-साथ पतंजलि विश्वविद्यालय के प्राध्यापकगण उपस्थित रहे।