छत्तीसगढ़-ओडिशा प्रांत के गायत्री साधकों को किया गया ज्योति कलश अर्पण

गायत्रीतीर्थ शांतिकुंज की आराध्या परम वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा जी एवं दिव्य अखण्ड दीप के शताब्दी समारोह “ज्योति कलश यात्रा सम्मेलन” की श्रृंखला में छत्तीसगढ़, ओडिशा प्रांत को ज्योति कलश अर्पण करने हेतु छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े जी मुख्य अतिथि के रूप में पधारीं।

इस अवसर पर शांतिकुंज महिला जागृति अभियान प्रमुख परम आदरणीया श्रीमती शेफाली पण्ड्या जी द्वारा श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े जी का स्वागत गायत्री मंत्र चादर एवं तिलक के साथ किया। जीवन विद्या के आलोक केंद्र देव संस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़, ओडिशा प्रांत से आये हज़ारों से गायत्री साधकों ने प्रतिभाग किया। इस कार्यक्रम में देसंविवि के कुलपति श्री शरद पारधी जी, एवं प्रतिकुलपति डॉ.चिन्मय पंड्या जी, शान्तिकुंज व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरी जी एवं छत्तीसगढ़, उड़ीसा जोन से जुड़े पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शांतिकुंज महिला जागृति अभियान प्रमुख परम आदरणीया श्रीमती शेफाली पण्ड्या जी ने कहा कि “ज्योति कलश यात्रा सम्मेलन” के माध्यम से हमें परम पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के विचारों को जन जन तक पहुँचाना है एवं सभी को इस महान कार्य के लिए जगाना है। आदरणीय प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पंड्या जी ने इस संगोष्ठी में पधारे समस्त अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि जैसे युग परिवर्तन का केंद्र परम पूज्य गुरुदेव हैं वैसे ही मिशन के केंद्र में परम वन्दनीया माता जी हैं, वह एक-दो नहीं करोड़ों-करोड़ गायत्री परिवार सदस्यों की माँ है एवं नारी उत्थान का सशक्त उदाहरण है। हमें परम वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा जी एवं दिव्य अखण्ड दीप के शताब्दी समारोह में छत्तीसगढ़, ओडिशा के हर घर में गायत्री परिवार को पहुँचाना है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माननीय मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े जी ने कहा कि इस दिव्य प्रांगण में पाकर वह बहुत प्रसन्न है, वह स्वयं को एक मंत्री के तौर पर नहीं बल्कि एक गायत्री परिवार के कार्यकर्ता के तौर पर इस कार्यक्रम में देखती हैं। गायत्री परिवार परिवार निर्माण एवं महिला जागरण का एक अभूतपूर्व कार्य कर रहा है।

इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद विशिष्ट अतिथियों द्वारा शक्ति कलश का पूजन करने के पश्चात् ज्योति कलश गीतमाला, छत्तीसगढ़िया- उड़िया भाषा में प्रज्ञागीत एवं ज्योति कलश डाक्यूमेंट्री का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का अंत मुख्य अतिथि को देसंविवि का स्मृति चिन्ह भेंट, कलश यात्रा एवं शांतिपाठ के साथ किया गया।

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