प्राचीन छड़ी यात्रा आदि बद्री की पूजा अर्चना के बाद पहुची जोशीमठ,

हरिद्वार/ गोपाल रावत

हरिद्वार। जूना अखाड़े की प्र्राचीन पवित्र छड़ी यात्रा बीती शाम चमोली से पौराणिक तीर्थ आदि ब्रदी पहुॅची। साधुओं के जत्थे का नेतृत्व कर रहे जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज का मन्दिर पहुचने पर मन्दिर समिति के पदाधिकारी नरेन्द्र चाकर,विनोद कुमार,जीत सिंह,नरेश बरमोला,प्यारेलाल आदि ने स्थानीय नागरिकों के साथ पवित्र छड़ी का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया तथा पूजा अर्चना की। पवित्र छड़ी को आदि बद्री मन्दिर स्थित मदिंरो के समूह का दर्शन कराया गया,यहां स्थित भगवान विष्णु के प्रमुख मन्दिर में छड़ी की पूजा अर्चना की गयी।

श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज ने बताया पौराणिक आख्यानों के अनुसार इन मन्दिरों का निर्माण पांडवों ने अपनी स्वर्गारोहण यात्रा के दौरान किया था। आदि बद्री में कुल 16मन्दिर थे,जिनमें से अभी भी 14 मन्दिर बचे हुए है। उन्होने बताया मुख्य मन्दिर भगवान विष्णु का है जिसके गर्भगृह में भगवान विष्णु की एक मीटर उॅची चर्तुभुज काले शालीग्राम की सुन्दर प्रतिमा है। मन्दिरों के इस समूह में भगवान गरूड़,सत्यनारायण,लक्ष्मी अन्नपूर्णा,चकभान,कुबेर,राम-लक्ष्मण,हनुमान,सीता,काली,भगवान शिव,गौरी शंकर को समर्पित है। इन मन्दिरों में अभी भी पूजा अर्चना होती है जो कि पिछले सात सौ वर्षो से थापली गांव के ब्राहमण करते चले आ रहे है। शुक्रवार की देर राात्रि पवित्र छड़ी रात्रि विश्राम के लिए पीपल कोटी पहुची,जहां से शनिवार की प्रातः पवित्र छड़ी जोशीमठ के लिए रवाना हुयी। प्रशासन की ओर से प्रशासनिक अधिकारी प्रदीप साह ने पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना तथा साधुओं के जत्थे का माल्यापर्ण कर जोशीमठ के लिए रवाना किया। जोशीमढ पहुचने पर पवित्र छड़ी का स्थानीय नागरिकों तथा प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पुष्पवर्षा कर जोरदार स्वागत किया गया। पवित्र छड़ी जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद की आचार्य गददी के दर्शन के लिए पहुची,जहां आचार्य गददी की पूजा अर्चना की गयी। यहां से पवित्र छड़ी प्राचीन पौराणिक नृसिंह मन्दिर दर्शनों के लिए पहुची,जहां मौजूद पुजारियों तथा विद्वान ब्राहमणों ने पवित्र छड़ी का अभिषेक कर मन्दिर में पूजा अर्चना करायी।

जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि ने बताया इसी स्थान पर दशनाम सन्यास परम्परा के प्रर्वतक आद्यजगद्गुरू शंकराचार्य को 8वीं सदी में ज्ञान प्राप्त हुआ था और देश के चारों कोनो में उनके द्वारा स्थापित की गयी पीठों में से प्रथम पीठ ज्योतिष पीठ की यहां स्थापन की गयी थी। उन्होने बताया नागा संयासियों के सबसे बड़े अखाड़े की श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की भी जोशीमठ में ही प्रार्दुभाव हुआ था। सर्दियों में भगवान बदरीनाथ की मूर्ति नृसिंह मन्दिर में ही विराजती है,जहां बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से पूर्व पूजा अर्चना की जाती है।

नृसिंह मन्दिर में जत्थे में शामिल नागा सन्यासियों महंत शिवदत्त गिरि,महंत पुष्कराजगिरि,महंत पारसपुरी, महंत विशम्भर भारती,महंत रूद्रानंद गिरि,महंत कमल भारती,केदारभारती,महंत महादेवानंद गिरि,महंत मोहनानंद गिरि महंत नितिन गिरि, गंगा गिरि आदि पूजा अर्चना कर सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना की।

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