हरिद्वार में चारधाम शीतकालीन यात्रा के प्रमोशन के लिए लगाए गए हिमालय दर्शन एक्सपो में जमुना पहाड़ी रसोई को किया गया सम्मानित, जानिए…
हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।
हरिद्वार। चारधाम शीतकालीन यात्रा के प्रमोशन के लिए लगाए गए हिमालय दर्शन एक्सपो में चौथे दिन जमुनापहाड़ी रसोई को किया सम्मानित: हिमालय दर्शन एक्सपोर्ट में आज के मुख्य अतिथि पूर्व विधायक प्रत्याशी धारचूला विधानसभा एवं महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा परम श्रद्धेय श्री वीरेंद्र आनंद जी महाराज एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा हरिद्वार के पार्षद कन्हैया जी थे एक्स्पो में आए हुए लोगों ने विभिन्न स्थानों पर सामान खरीदा तथा पहाड़ी व्यंजनों का भी लुप्त उठाया इस अवसर पर पहाड़ी रसोई को भी संस्था द्वारा सम्मान पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। बाहर से आए हुए टूर एवं ट्रेवल कंपनियों ने उत्तराखंड के व्यंजन का आनंद उठाया तथा उत्तराखंड के दालों एवं उत्पादों की भूरी-भूरी प्रशंसा की तथा पहाड़ी उत्पाद खरीद कर कहा कि शुद्ध ऑर्गेनिक अनाज मनुष्य के लिए लाभदायक है। सोनी टीवी के कलाकार दुर्गेश नौटियाल ने अपने हास्य प्रस्तुति से सभी को गुदगुदाने के लिए मजबूर कर दिया। आए हुए विभिन्न सांस्कृतिक दलों ने अनेक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां प्रस्तुत की संचालक डॉ. संतोष खंडूरी ने कहा कि हमारे पहाड़ी व्यंजन एवं अनाजों को हरिद्वार में मार्केट उपलब्ध होनी चाहिए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद जी ने कहा कि हमारी उत्तराखंड की संस्कृति लुप्त होती जा रही है तथा सांस्कृतिक दलों को उचित मानदेय एवं रोजगार उपलब्ध न होने के कारण संस्कृति लुप्त हो रही है सरकारों को चाहे की ऐसे बेरोजगार हो चुके सांस्कृतिक कर्मियों को उचित मानदेय मिलना चाहिए विरेंद्र आनंद जी ने हरिद्वार में एक पहाड़ी रसोई लगाने की घोषणा की जोकि जूना अखाड़े में कुंभ के समय एवं अन्य प्रभु के समय देश और विदेशी लोगों को पहाड़ी अनाज एवं पहाड़ी रसोई उपलब्ध कराई जाएगी। इस अवसर पर अति विशिष्ट अतिथि पार्षद कन्हैया जी को महादेव सेना के दीपक पुरोहित गीता बिष्ट इंदु नेगी कुसुम कंडवाल ने सम्मानित किया संस्था के सचिव एवं संयोजक राजेंद्र सेमवाल नेसभी सहयोगी का आभार प्रकट किया वेद निकेतन के प्रबंधक दिनेश नौटियाल यमुनोत्री के रावल प्रदीप उनियाल जगन्नाथ के राजेंद्र नौटियाल गीता बिष्ट हरीश डिमरी मनोज सेमवाल मंजू नौटियाल वीरेंद्र मोहन गुरु प्रसाद सेमवाल आदि सैकड़ों लोग शामिल थे।