चरित्र निर्माण की शिक्षा देने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय है गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार -त्रिवेंद्र सिंह रावत।

हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय सभागार में युवा महोत्सव प्रेरणा कार्यक्रम स्वच्छ भारत दिवस के अवसर पर युवाओं को प्रेरित करने के लिए योगाभ्यास और स्वच्छता अभियान को शहर में संचालित करने के लिए नुक्कड नाटक भी आयोजित किए गए। युवा महोत्सव के मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री व हरिद्वार के वर्तमान सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस अवसर पर कहा कि गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय चरित्र निर्माण की शिक्षा देने वाला पहला विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति को पल्लवित करने की शिक्षा प्रदान की जाती है। 100 वर्षों से यह काम यह विश्वविद्यालय कर रहा है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान को जमीनी बनाने के लिए हमें संकल्प लेना होगा कि कचरे का प्रयोग बड़ी सावधानी के साथ करें। पर्यावरण को प्रदूषित करने में प्लास्टिक का योगदान किसी से छिपा नहीं है। जिस तरह से प्लास्टिक का बार-बार रीसाइक्लिंग करने पर नया रूप हो जाता है। इसलिए प्लास्टिक आत्मा की तरह अजर व अमर है। ओजोन की परत को कमजोर करने में प्लास्टिक काफी हानिकारक सिद्ध हो रही है। उपभोक्तावादी संस्कृति से छात्र एवं छात्राओं को बचना चाहिए। संस्कृति और सभ्यता का संरक्षण शिक्षण संस्थाओं की आभा होती है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि व अन्य पदाधिकारियों ने परिसर में पौधारोपण किया|

गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि हरिद्वार की धरती को दो रूप में पहचाना जाता है। हरिद्वार का मतलब हरि का द्वार। विष्णु भगवान नारायण का द्वार उसी प्रकार से हरिद्वार, भगवान शंकर का द्वार। हमारे ग्रंथों में लिखा हुआ है कि भगवान विष्णु पालनहार है और शंकर विनाशकारक है। इसलिए त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी इसी धारा के संवाहक है। उन्होंने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय इस इंच जमीन को मेरे रहते हुए कोई नहीं बेच पाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक मैं कुलाधिपति के पद पर आसीन हुं तब तक स्वामी श्रद्धानन्द की इस पुण्य भूमि पर न तो कोई कब्जा कर सकता है और न ही बेच सकता है। उन्होंने कहा कि गुरुकुल गुरुकुलीय परम्परा से चलता रहेगा। गुरुकुल में राजनीति करने वाले छात्र-छात्रा अपने मंसूबे पूरे नहीं कर सकते। यहां पर सह शिक्षा की व्यवस्था लागू नहीं की जा सकती। जो छात्र-छात्राएं इस परम्परा में विश्वास रखते वह दूसरे विश्वविद्यालय में सहर्ष प्रवेश ले सकते हैं। भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए युवा प्रेरणा कार्यक्रम मिल का पत्थर साबित होगा।

गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. हेमलता के. ने कहा कि इस पूण्य भूमि पर महात्मा गांधी से लेकर नामचीन स्वतंत्रता सेनानी पदार्पण कर चुके हैं। मदन मोहन मालवीय ने यहीं से प्रेरणा लेकर बनारस विश्वविद्यालय की नींव रखी थी। ब्रिटिश सरकार ने कई बार अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द से विश्वविद्यालय संचालित करने के लिए ब्रिटिश सहायता देने का भी प्रलोभन दिया था। स्वामी श्रद्धानन्द देश की आजादी के लिए विश्वविद्यालय में ऐसे छात्रों को पल्लवित किया जो देश की आजादी के लिए सहायक बने।

गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार ने विश्वविद्यालय की सम्पूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि वेद, दर्शन, संस्कृत, योग और विज्ञान जैसे विषय वैदिक शिक्षा के साथ संचालित किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय में शोध परियोजनाएं और पेटेंट की कार्यवाही सतत जारी है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत दिवस कार्यक्रम को प्रेरणादायक बनाने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा अथक प्रयास किए जायेंगे।

गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय विभाग के मुख्याधिष्ठता डा0 दीनानाथ शर्मा ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय की 100 साल से अधिक परम्परा को किसी भी कीमत पर खत्म नहीं होने दिया जाएगा। शिक्षा प्रणाली को गुरुकुल वैदिक परम्परा के साथ जीवन्त रखा जाएगा।

इस अवसर पर गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय युवा महोत्सव प्रेरणा कार्यक्रम में एक नया इतिहास रचा गया जिसमें हरिद्वार जनपद के स्वतंत्रता सेनानी व विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर भारत भूषण के साथ प्रो.आर.के.एस. डागर, प्रो. सुचित्रा मलिक, महेन्द्र सिंह नेगी, वीरेन्द्र सिंह असवाल, द्विजेन्द्र पन्त, गिरीश सुन्दरियाल, प्रमोद कुमार, हेमन्त आत्रेय, महावीर सिंह यादव को हरिद्वार के सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत व कुलाधिपति डॉ. सत्यपाल सिंह द्वारा सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम प्रो. प्रभात कुमार के निर्देशन में आयोजित किया गया तथा कार्यक्रम का संचालन डॉ. अजय मलिक व डॉ. हिमांशु पंडित ने किया। इस अवसर पर प्रो. डी.एस. मलिक, प्रो. एल.पी. पुरोहित, प्रो. देवेन्द्र कुमार गुप्ता, प्रो. कर्मजीत भाटिया, प्रो. ब्रह्मदेव, प्रो. वी.के. सिंह, प्रो. सुरेन्द्र त्यागी, प्रो. मुकेश कुमार, प्रो. सत्यदेव निगमालंकार, प्रो. नमिता जोशी, प्रो. सुरेखा राणा, प्रो. सीमा शर्मा, प्रो. मुदिता अग्निहोत्री, प्रो. अंजली गोयल, डॉ. शिव कुमार, डॉ. उधम सिंह, डॉ. गगन माटा, डॉ. बबलू वेदालंकार, डॉ. धर्मेन्द्र वालियाल, रजनीश भारद्वाज, नरेन्द्र मलिक, नागेन्द्र राणा, विक्रम भूल्लर, डॉ. पंकज कौशिक, कुलभूषण शर्मा, हेमन्त सिंह नेगी, डॉ. दीपक, डॉ. विपुल भट्ट, डॉ. अजीत सिंह तोमर, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. अरूण, डॉ. पवन, डॉ. महेन्द्र असवाल, डॉ. श्वेतांक आर्य, राजीव चौधरी, विकास कुमार, नीरज कुमार, नीरज भट्ट, वीरेन्द्र पटवाल, धीरज कौशिक, अरविन्द शर्मा, अंकित कृष्णात्री, धर्मेन्द्र बिष्ट, आशीष थपलियाल आदि ने भाग लिया।

गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय विभाग के प्रधानाचार्य डॉ. विजेन्द्र शास्त्री के निर्देशन में विद्यालय के ब्रह्मचारियों ने कार्यक्रम प्रारम्भ होने से पूर्व कुलगीत व कुलवन्दना किया गया। डॉ. शास्त्री द्वारा राष्ट्रीयगान व शान्तिपाठ कर कार्यक्रम का समापन किया गया।

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