संस्कार में साकार होती है वैदिक परंपराः परमानंद
सुमित यशकल्याण
- हरिद्वार। श्रीकृष्ण धाम ट्रस्ट में आयोजित हुआ जनेऊ व गुरु दीक्षा संस्कार में श्रीकृष्ण हरिधाम ट्रस्ट आश्रम के परामाध्यक्ष महंत परमानंद शास्त्री ने कहा कि हिंदू धर्म में जनेऊ संस्कार का बहुत ही महत्व है। इस संस्कार में जनेऊ धारण करने वाले साधकों को मंत्र की दीक्षा दी जाती है और यज्ञोपवीत कराया जाता है।
उत्तरी हरिद्वार स्थित श्रीकृष्ण हरिधाम ट्रस्ट में सोमवार को जनेऊ संस्कार व गुरु दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान ऋषिकेश पशुलोक से आए शिवराम ब्रह्मचारी का जनेऊ व गुरुदीक्षा दिलवाई गई। - आश्रम के परमाध्यक्ष महंत परमानंद शास्त्री ने कहा कि यज्ञोपवीत का अर्थ है यज्ञ के समीप या गुरु के समीप आना। यज्ञोपवीत एक तरह से बालक को यज्ञ करने का अधिकार देता है। शिक्षा ग्रहण करने के पहले यानी, गुरु के आश्रम में भेजने से पहले बच्चे का यज्ञोपवीत किया जाता था। भगवान रामचंद्र तथा कृष्ण का भी गुरुकुल भेजने से पहले यज्ञोपवीत संस्कार हुआ था। उन्होंने बताया कि संस्कार से पूर्व बटुक का मुंडन करवाया गया। बाद में विधि-विधान से भगवान गणेश सहित देवताओं का पूजन, यज्ञवेदी एवम बटुक को अधोवस्त्र के साथ माला पहनाकर बैठाया गया। इसके बाद विनियोग मंत्र ब्रह्मचर्य के पालन की शिक्षा के साथ विभिन्न धार्मिक आयोजन संपन्न हुए। मंत्र की दीक्षा देने के बाद बटुक ने भिक्षा लेकर गुरु को अर्पण की। इसके बाद गुरु ने उनके कानों में गुरु मंत्र दिया।
इस दौरान रामानंद ब्रह्मचारी, परशुराम अखाड़ा के संस्थापक पंड़ित अधीर कौशिक, महंत शुभम गिरि, अखिलेश शास्त्री हापुड़, प्रेमानंद शास्त्री, चेतन ऋषिश्वरा नंद, कमलेश्वरानंद, राममनोहर पांडेय, नरेंद्र उपाध्याय, नंद किशोर शर्मा आदि मौजूद रहे।