पवित्र छड़ी अपने प्रथम चरण में पूजा-अर्चना के लिए पहुंची यमुनोत्री धाम…
उत्तराखण्ड / सुमित यशकल्याण।
हरिद्वार। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा विगत 09 अक्टूबर को उत्तराखंड के चारों धाम तथा प्रदेश के समस्त पौराणिक तीर्थों के लिए रवाना की गई। पवित्र छड़ी अपने प्रथम चरण में यमुनोत्री धाम पूजा-अर्चना के लिए पहुंची। पवित्र छड़ी 10 अक्टूबर को ऋषिकेश से सर्वप्रथम लाखामंडल पहुंची। छड़ी यात्रा के प्रमुख महंत श्रीमहंत प्रेम गिरी, सुमेरू पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती, श्रीमहंत शिवदत्त गिरी व श्रीमहंत पुष्कर राज गिरी, श्रीमंहत विशम्भर भारती, महंत वशिष्ठ गिरी, महंत रतन गिरी, महंत हीरा भारती लगभग एक सौ नागा सन्यासियों के जत्थे के साथ लाखामंडल पहुंचे, जहां स्थानीय नागरिकों श्रद्धालुओं और मंदिर के पुरोहितों ने पवित्र छड़ी की पूजा-अर्चना कर स्वागत किया। पवित्र छड़ी ने लाखामंडल मंदिर में स्थित पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग का अभिषेक किया तथा उनका पवित्र छड़ी में आहवान किया।
जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरी ने बताया लाखामंडल महाभारत कालीन है यहां पर दुर्योधन ने पांडवों को समाप्त करने के लिए लाक्षागृह का निर्माण कराया था, लेकिन मंत्री विदुर की सहायता से वह बच निकले और उन्होंने इसी लाखामंडल में अज्ञातवास का समय व्यतीत किया। पांडवों ने इस क्षेत्र में एक लाख शिवलिंग स्थापित किए। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि लाखा मंदिर के चारों ओर लगभग एक 100 मीटर के दायरे में जहां भी भूमि खोदी जाती है वहां शिवलिंग निकल आता है। छड़ी के साथ पहली बार भ्रमण के लिए निकले सुमेरू पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज ने पवित्र छड़ी का महत्व बताते हुए नागरिकों को बताया कि पवित्र छड़ी में सभी देवी-देवताओं का निवास है इसलिए जिन-जिन स्थानों में पवित्र छड़ी भ्रमण के लिए जाती है वहां-वहां सुख-समृद्धि और शांति आती है। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड के पौराणिक व मंदिर जो कि उपेक्षित हैं और लोग उसके पौराणिक महत्व से अनभिज्ञ हैं उनका संरक्षण करने के लिये सरकार तथा स्थानीय नागरिकों को जागरूक भी करना है। अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेश पुरी ने बताया कि आज पवित्र छड़ी भारी वर्षा और खराब मौसम के बावजूद यमुनोत्री धाम पूजा-अर्चना के लिए पहुंची। पवित्र छड़ी के यमुनोत्री धाम पहुंचने पर श्रीमहंत जानकीदास, तीर्थ पुरोहित संदीप, हिमालयन योगी व अन्य संतों ने पूजा-अर्चना कर स्वागत किया तथा पवित्र छड़ी को माता यमुनोत्री के दर्शन करा कर परिक्रमा करवाई। पवित्र छड़ी यमुनोत्री दर्शन के पश्चात रात्रि विश्राम हेतु बरकोट पहुंच गई।