निरंतर तप और मेहनत से ही अध्यात्म और जीवन में सफलता -आचार्य रामानुज।

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम में चल रही 09 दिवसीय रामकथा के चतुर्थ दिवस में परमहंस की व्याख्या करते हुए आचार्य रामानुज ने कहा कि जीवन का मतलब रोज सपने देखना, उत्साहित होना, पुरुषार्थ कर जीवन के सपने को हकीकत में लाना है। जीवन के किसी भी पायदान पर आप क्यों न खड़े हो, स्वपन हर व्यक्ति देखता है और जो स्वप्न देखता है चाहे अध्यात्म हो सफलता पाने के लिए मेहनत करनी होगी। जिसने हरहाल में मुस्कुराना एवं आगे चलना वही व्यक्ति सफलता को प्राप्त करता है ।

अपने स्वप्न को पूरा करने के लिए यदि युवानी में नींद न आये तो उस युवान बुढ़ापे में बहुत अच्छी नींद आती है। आचार्य ने कहा कि हरिद्वार में युवाओं को कथा सुनते देखकर विशेष हर्ष होता है। चिकित्सा पद्धति की शिक्षा ले रहे विद्यार्थीओ को आचार्य ने व्यक्तित्व विकास के बहुमूल्य सूत्र दिए। उन्होंने कहा कि जो अपने लक्ष्य के प्रति सतत सजग होकर लगा रहे, स्वप्नों को पूरा करने दिन-रात मेहनत करे, सफलता उसे निश्चित मिलती ही है।

उन्होंने कहा कि बड़ा व्यक्ति बनने के लिए जुनून होना चाहिए और इसी जुनून को अध्यात्म में साधना कहा गया है। हाथ में माला उठा लेने मात्र से कोई योगी नही बनता, उसके लिए हमारी वृत्ति को भी सयंमित करना होता है। रामायण की चौपाई से दृष्टांत देते हुए उन्होंने तप और करुणा को जीवन में सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक बतलाया। उन्होंने कहा कि करुणा ऐसा गुण है जो सफलता के यात्री को मानवता से परिपूर्ण कर देता है।

करुणा एक सद्गुण है, जो अहंकार के क्षणों में हमारे भीतर मानवता की सुगंध भरता है और यही सुंगध व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारती है। ऐसे साधक जीवन में भी बहुत बड़ा नाम कर जाते हैं। यही करुणा मां शारदा मे विद्यमान थी, जिसके फलीभूत रामकृष्ण मिशन के साधु संत, नर सेवा नारायण सेवा मानकर कर सकें। आज दुनिया भर में रामकृष्ण मिशन के साधु अपनी आध्यात्मिक साधना के साथ मानव सेवा कर रहे हैं। जो परमहंस के मार्ग का यात्री होता है वो दूसरों की वेदना को महसूस करता है। दुर्घटनाओं को भी साधना से अच्छे भविष्य में परिवर्तित किया जा सकता है, इसलिए जीवन में साधना नितांत आवश्यक है। अहिल्या प्रसंग को बहुत ही मार्मिक शैली में सुनाया। कथा में रामकृष्ण मिशन के साधुगण, चिकित्सा क्षेत्र में पढ़ रहे छात्र-छात्राएं, आसपास के क्षेत्रों से आए बुद्धिजीवी एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।

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