प्राचीन छड़ी यात्रा पहुची सीतामढ़ी ,ग्रामीणों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों ने किया स्वागत,

हरिद्वार/ गोपाल रावत

हरिद्वार। उत्तराखंड के समस्त पावन तीर्थो और चारो धाम की यात्रा पर निकली श्रीपंच दशनाम जूना आनंद भैरव अखाड़े की प्राचीन छड़ी यात्रा सोमवार को पौड़ी के निकट सीतामढ़ी ग्राम पहुची। इस छड़ी यात्रा को लकर इस क्षेत्र के गामीणों के जर्बरदस्त उत्साह था और पवित्र छड़ी यात्रा के वहा पहुचते ही ग्राम प्रधान राजेन्द्र सिंह की अगुवाई में स्थानीय ग्रामीणों ने ढोल,नगाड़ो व पुष्पवर्षा के साथ पवित्र छड़ी का स्वागत किया तथा माता सीता के मन्दिर में जाकर पूजा अर्चना की। पवित्र छड़ी के स्वागत के लिए प्रशासन की ओर से तहसीलदार पौड़ी हरिमोहन खंडूडी,नायब तहसीलदार पूरण प्रकाश रावत,राजस्व निरीक्षक सूरजपाल सिंह रावत,दीपक देवरानी,कु.नीतू रावत,राजेन्द्र सिंह नेगी,विजयराम पंत,गेजेन्द्र रतूड़ी,उपनिरीक्षक डीसी टम्ट आदि मौजूद रहे।

जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय सभापति व छड़ी यात्रा के प्रमुख महंत श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज को ग्राम प्रधान राजेन्द्र सिंह ने सीतामढ़ी की पौराणिक कथा की जानकारी देते हुए बताया कि सीता माता ने इसी स्थल पर भू-समाधि ली थी। जब वह भूमि में समा रही थी तब लक्ष्मण ने उन्हे रोकने का प्रयास किया,लेकिन उनके हाथ में सीतामाता के केश ही रह गये थे। तभी से सीता माता की पावन स्मृति में दीपावली के बारह दिनों पश्चात् द्वादशी के दिन बहुत बड़ा मेला लगता है,जिसमें जहां माता सीता ने समाधि ली थी,वहां गाॅव के ब्राहणों द्वारा ज्यादा मृग के सींग से खुदाई की जाती है। वहा खुदाई रोककर शिला की पूजा अर्चना की जाती है। इस पूजा के लिए माता सीता के मायका कोटड़ा गांव से बबूल की बनी रस्सी जिसे भवेली कहा जाता है लाई जाती है जिसकी लम्बाई भू-समाधि स्थल से सीतामाता के मन्दिर तक होती है,खुदाई स्थल पर पूजा के लिए लाई जाती है,जिसे ग्रामीण माता सीता के बाल लट के रूप् में पूजते है। बाद में इसे प्रसाद स्वरूप बांट दिया जाता है। जिसे ग्रामीण अपने घरों में पूजा स्थल,कोठार आदि में समृद्वि प्राप्त करने हेतु रखते है। ग्रामीणों ने श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज से माता सीता की भू-समाधि स्थल व मन्दिर के भव्य निर्माण की मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह राावत द्वारा की गयी घोषणा को शीघ्र क्रियान्वित किये जाने की मांग की। श्रीमहंत प्रेम गिरि ने ग्रामीणों को आश्वस्त करते हुए कहा कि पवित्र छड़ी को सीतामढ़ी के दर्शनों को ले जाने का आग्रह स्वयं मुख्यमंत्री का भी था और वह इस पावन तीर्थ स्ािली को विश्व पटल पर लाने के लिए बड़ी गंभीरता से कार्ययोजना बना रहे है। इस छड़ी यात्रा के माध्यम से जहां मुख्यमंत्री को यहां के ग्रामीणों की मनोभावना से अवगत कराय जायेगा,वही साधु-संतो के माध्यम से पूरे भारत में भी इसका प्रचार-प्रसार किया जायेगा।

पवित्र छड़ी यात्रा में शामिल साधु संतो की जमात जिसमें छड़ी महंत पुष्करराज गिरि,श्रीमहंत शिवदत्त गिरी,महंत महादेवानंद गिरि,महंत पारसपुरी,महंत मोहनानंद गिरि,महंत शिवाल गिरी,महंत गुप्त गिरि,शांताकार गिरि,रामगिरि,परमानंद गिरि आदि आदि शामिल रहे। माता सीता मन्दिर में पूजा अर्चना के पश्चात छड़ी यात्रा विश्राम के लिए पौड़ी रवाना हो गयी।

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