निंदा और स्तुति से परे होता है परमहंस -आचार्य रामानुज।

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम द्वारा आयोजित संतो के सानिध्य में आचार्य रामानुज के श्रीमुख से हो रही रामकथा का प्रधान विषय है “परमहंस”।

तीसरे दिन की कथा में व्यासपीठ से मुखरित होते हुए आचार्य ने कहा कि जीवन दो दिशाओं में यात्रा करता है, बाहर एव भीतर इसी यात्रा को करते-करते परमहंस पद को प्राप्त किया जाता है, हमारे व्यक्तित्व में परमहंस तत्त्व होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि एकांत में संतुष्टि हो कि मैं जो कर रहा हूं बड़ा मजेदार है बस इस संतुष्टि से परमहंस पद की यात्रा शुरू होती है।

कथा सुनने उत्सुकता से आये चिकित्सा विज्ञान के युवान विद्यार्थियों  को संबोधित करते हुए आचार्य ने कहा कि कैसे हमारे जीवन मे घटने वाली घटनाओं में से परमहंस निकलते हैं, आपमें से भी कोई परमहँस हो सकता है, भविष्य में आप का अपने आप से सामना होगा। उन्होंने विद्यार्थियों को कहा भले ही आपके माता-पिता पढ़े-लिखे कम होंगे, ठीक से अपनी बात नही रख सकते होंगे, पर उनकी आंखें भी सपने देखती हैं एवं उनके स्वप्नों के हीरो आप हैं जो कुछ उनसे छूट गया वो आपके माध्यम से प्राप्त करना चाहते हैं।

आप चिकित्सा क्षेत्र की विद्या अर्जित कर रहे हैं तो सफल डॉक्टर को शरीर के साथ मरीज के मन का भी इलाज करना पड़ेगा। हमारा जीवन भी कालचक्र से बंधा है, जैसा व्यवहार हम दूसरों से करेंगे वैसा ही हमारे साथ घटित होगा। वे आगे बोले कि परमहंस का मार्ग भौतिकता का नहीं है, यहाँ किसी का स्वागत नही होता, ना ही किसी को धक्का दिया जाता है, व्यापक एव शास्वत तत्त्व है परमहंस तत्व। आचार्य ने कहा कि जो संभावित घटना को समझ कर पहले ही निर्णय कर ले वह योगी है, जो योगी हो, जो तपस्वी हो, जो सबके साथ समानता रखता हो, जो दुषप्रवृत्ती का दमन करता हो, वह परमहंस है।

जो समाज में रहकर मुस्कुराते हुए भी एकांत में हो और जब एकांत में माँ काली की उपासना में हो तब संसार की चिंता करता हो वह व्यक्ति परमहंस है जैसे रामकृष्ण देव। आचार्य रामकथा में बोले कि जब व्यक्ति आपके सामने खड़ा होकर नही लड़ सकता वो आपके पीठ पीछे नकारत्मक बाते फैलता है आपकी निंदा करता है और समाज निंदा में बहुत रुचि रखता है, इसीलिए  सावधान रहने की आवश्यकता है। निंदा और प्रशंसा में समान रूप विनम्र बने रहे तो समझना कि आप परमहंस के मार्ग पर हो। जो सहज है जो निंदा स्तुति में समान है वह परमहंस है। परमहंस पद का यात्री सिंद्धांत के रास्ते से चलता है जो गुरु के द्वारा प्रसस्त हो। आगे की शिव चरित्र की कथा सुनाते हुए आचार्य रामानुज ने रामजन्म का प्रसंग सुनाया।

रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के मेडिकल सुपरिटेंडेंट स्वामी दयाधिपानंद ने कहा कि आधुनिक संदर्भ में सर्वजन सुलभ सरल भाषा शैली में परमहंस वृत्ति के विषय मे रामकथा को साथ लेकर आचार्य रामानुज बड़े रोचक ढंग से व्याख्यान कर रहे हैं, जिसका सीधा प्रसारण  रामकृष्ण मिशन कनखल एव आचार्य रामानुज जी के यूट्यूब चैनल एवं फेसबुक पर किया जा रहा है।

कथा सुनने वालों में डॉ. महावीर अग्रवाल, एम्स के डॉक्टर और अमेरिका से आए डॉ. प्रतिभा और डॉक्टर सुशील शर्मा एवं रामकृष्ण मिशन के साधु-संत मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!