मुख्यमंत्री धामी कल करेंगे पवित्र छड़ी यात्रा को रवाना, जानिए…

हरिद्वार / सुमित यशकल्याण।

हरिद्वार। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े द्वारा निकाली जाने वाली प्राचीन पवित्र छड़ी यात्रा को 20 अक्टूबर को चारों धाम तथा उत्तराखण्ड के समस्त पौराणिक तीर्थस्थलों की यात्रा हेतु मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अधिष्ठात्री देवी मायादेवी मन्दिर से शुर्भ मुहर्त में प्रारम्भ करेंगे। ज्ञात रहे कि कई दशकों से अपरिहार्य कारणों से स्थगित यह पवित्र छड़ी यात्रा श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े द्वारा बागेश्वर से निकाली जाती थी, वर्ष 2019 में अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक तथा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज के प्रयासों से इसे पुनः प्रारम्भ किया गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिह रावत ने अधिष्ठात्री देवी मायादेवी मन्दिर से इसे रवाना किया था तथा इसे राजकीय यात्रा घोषित करते हुए प्रदेश सरकार की ओर से समस्त सुविधायें उपलब्ध करायी थी। 20 अक्टूबर को यात्रा पर रवाना होने से पूर्व बाल्मीकि जयन्ती के पावन पर्व पर पवित्र छड़ी को बाल्मीकि चौक स्थित भगवान बाल्मीकि की पूजा-अर्चना के लिए लाया जायेगा। यहां से पवित्र छड़ी बिल्व पर्वत पर स्थित पौराणिक मन्दिर मां मनसा देवी मन्दिर पहुंचेगी। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्दुपरी महाराज द्वारा पवित्र छड़ी की पूजा-अर्चना की जायेगी तथा माता का आर्शीवाद दिलाया जायेगा। श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने बताया कि पवित्र छड़ी यात्रा चारों धाम तथा समस्त उत्तराखण्ड के सभी प्रमुख तीर्थो का भ्रमण कर 10 नवम्बर को वापस मायादेवी मन्दिर हरिद्वार पहुचेगी।

लगभग 21 दिन की इस यात्रा में पवित्र छड़ी चारों धाम के अतिरिक्त त्रिजुगीनारायण, तृंगनाथ, भविष्य बद्री, आदि बद्री, नृसिंह मन्दिर, आद्य जगदगुरू शंकराचार्य गुफा, सीतामढ़ी, नौटी गाॅव में श्रीयंत्र होते हुए कुमांयू मण्डल मे प्रवेश करेगी, जहां बैजनाथधाम, जागेश्वरधाम, सोमेश्वर महादेव, एड़ादेव, खडकेश्वर मन्दिर, गरूड़चट्टी, ज्योतिर्लिंग बागनाथ मन्दिर बागेश्वर, पूर्णागिरि मन्दिर, गंगानाथ मन्दिर, प्रन्ना देवी नैनीताल, नारायण आश्रम ओमपर्वत, पाताल भुवनेश्वर, हाट काली गंगोलीहाट, दूना गिरि, कालिका मन्दिर रानीखेत, बिनसर महादेव, बूढ़ाकेदार, भूमियाथान मासी, गर्जिया माता के दर्शनों के पश्चात हरिद्वार पहुंचेंगी। उन्होने कहा कि सनातन धर्म परम्परा में तीर्थाटन का विशेष महत्व है। पवित्र छड़ी यात्रा का उददे्श्य जहां तीर्थाटन को बढ़ावा देना है, वहीं इन यात्राओं के माध्यम से राष्ट्र को सामाजिक, धार्मिक व आर्थिक एकता के सूत्र में बांधना है। देश में विभिन्न प्रदेशों में किसी न किसी रूप में यह धार्मिक यात्राएं संचालित की जाती रही है। श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड को देवभूमि कहा जाता है लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों से लगातार हो रहे पलायन तथा मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पहाड़ खाली हो रहे है। उन्होंने कहा कि सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों से पलायन से सीमा पर विदेशी आक्रमणों का खतरा बढ़ गया है। इस पलायन को रोकने के लिए प्रत्येक जनपद में मेडिकल काॅलेज, उच्च शिक्षा हेतु विश्वविद्यालय स्थापित किया जाना अत्यन्त आवश्यक है। उत्तराखण्ड बने 20 वर्ष से अधिक हो गए हैं परन्तु इस ओर किसी भी दल ने ध्यान नही दिया है। उन्होंने कहा कि इस छड़ी यात्रा का एक उददे्श्य यह भी है कि जनता को जागरूक किया जाए। उन्हे स्थानीय पारम्परिक उद्योग, काम-धंधे के प्रति आर्कषित किया जाये ताकि पलायन रूक सके। उन्होने सभी विधायकों से अपील की है कि सभी को अपनी-अपनी विधानसभा में स्थायी निवास बनाकर रहना चाहिए ताकि वह स्थानीय समस्याओं को नजदीक से देख सके और उसका समाधान कर सके। श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने कहा कि शासन-प्रशासन की उदासीनता के चलते उत्तराखण्ड में वर्ग विशेष समुदाय के लोग हावी होते जा रहे है। यह लोग औने-पौने दामों में ज़मीने खरीद कर अपना वर्चस्व स्थापित करते जा रहे हैं। हाल ही में हुए एक सर्वे में यह बात सामने आयी है कि पौराणिक तीर्थो में विशेष समुदाय का प्रतिशत बहुत अधिक बढ़ गया है जोकि चिन्ता का विषय है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पवित्र छड़ी यात्रा का उददे्श्य राष्ट्र की एकता, अखण्डता तथा सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार व सामाजिक जागरूकता, चेतना पैदा करना है।

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