संत श्री टाट वाले बाबा जी महाराज का 34वां वार्षिक स्मृति समारोह तृतीय दिवस वेदांत सम्मेलन किया गया समपन्न…
हरिद्वार। संत श्री श्री टाट वाले बाबा जी महाराज का 34वां वार्षिक स्मृति समारोह तृतीय दिवस वेदांत सम्मेलन समपन्न किया गया, जिसमे गुरु वंदना के साथ समस्त भक्तगणों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए तथा महेशी माता गुलरवाला ने गुरु जी के चरणों में भजन समर्पित किए। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि भगवान ने अपनी माया रूपी परदे से सब कुछ ढक रखा है, यह माया रूपी परदे को भजन कीर्तन सत्संग के माध्यम से ही सदगुरु देव महाराज इसे हटाकर आत्मतत्व का दर्शन कराने का कार्य करते हैं। साधक को एकांत में रहकर साधना करनी चाहिए। महापुरुष अपनी मस्ती में विचरण कर आत्मस्वरुप में विलीन रहते है ऐसे महापुरुष का दर्शन मात्र से जीव की दशा और दिशा दोनो बदल जाती हैं। ऐसे विलक्षण संत श्री श्री टाट वाले बाबा जी महाराज थे।
श्री टाट वाले बाबा जी के परम भक्त हरिहरानंद परमार्थ निकेतन ऋषिकेश ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पण करते हुए कहा कि गुरु के वचनों को धारणकर उनको अपने जीवन में ना उतारना सांसारिक बंधनों से मुक्त ना होने का एक प्रमुख कारण है। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने श्री टाट वाले बाबा जी महाराज के चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पण करते हुए एक वृतांत सुनाया कि दीर्घ काल तक संत के श्री चरण में रहने का जिस जीव को अवसर मिल जाता है वह स्वयं ही आनंद रूप होकर उस आत्म तत्व में स्थित हो जाता है। राम मंदिर का भव्य मंदिर बनने के बारे में श्री टाट वाले बाबा जी महाराज ने आज से चालीस वर्ष पूर्व ही कह दिया था कि अयोध्या में राम जी का भव्य मन्दिर बनेगा। ऐसे महापुरुष विलक्षण प्रतिभा के दुर्लभ संत थे श्री टाट वाले बाबा जी महाराज। स्वामी मोहनानंद महाराज ने श्री टाट वाले बाबा जी महाराज के श्री चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि भगवान ने कोई भेद नहीं किया है यह भेदभाव की भावना हम स्वयं उत्पन्न करते हैं। स्वार्थ प्रवृत्ति एवं मोह प्रवृत्ति मनुष्यों में पायी जाती है इसका अर्थ है कि मनुष्यों में दोष प्रवृत्ति अधिक है जबकि पशुओं में केवल मोह प्रवृत्ति पायी जाती है।
श्री रामनिवास धाम के परमाध्यक्ष स्वामी दिनेश दास महाराज ने श्री गुरु महाराज के श्री चरणों में अपने श्रद्धा सुमन भजन की प्रस्तुति के रूप में दी और कहा कि दुखिया ना कोई होवे सृष्टि में प्राणधारी। हाथ जोड़ विनती करूं, मेरे सदगुरु देव महान।
पूज्य स्वामी कमलेशानंद महाराज ने श्री गुरु महाराज के चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि गुरु के चरणों में समर्पित होकर दर्शन मात्र ही संसार से मुक्त होने का साधन बन जाता है। श्रद्धा और विश्वास के अनुरूप साधक की झोली सदगुरु स्वयं भर देते हैं।
यह शरीर पांच तत्व से बना है। वेदांत सम्मेलन का संचालन एसएमजेएन (पीजी) कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. सुनील कुमार बत्रा एवं संजय बत्रा ने किया ।
स्वामी डॉ. हरिहरानंद महाराज गरीबदासिय परंपरा के परमाध्यक्ष ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पण करते हुए कहा कि श्री टाट वाले बाबा जी महाराज का समाधि स्थल उनकी तपोस्थली है, यहां आने वाला साधक केवल दर्शन मात्र से सब व्याधियों से निजात पा लेता है। वैराग्य का अर्थ है सब कुछ आपके सामने होने पर भी उसमे कोई भी आसक्ति ना हो। साधन कई हो सकते हैं लेकिन साध्य केवल ईष्ट मात्र हैं। गुरु के प्रति अपने आप को समर्पित करना ही परमात्मा के द्वार तक जाने का रास्ता है। जो जीव अपने मन पर नियंत्रण कर लेता है वह सब बंधनों से मुक्त हो जाता है।
गुरु चरणानुरागी समिति के नेतृत्व में अध्यक्षा रचना मिश्रा, कर्नल सुनील, विजय शर्मा, सुरेन्द्र वोहरा, दीपक भारती, श्रीमती मधु गौड़, सुनील सोनेजा, गुलरवाले उदित गोयल, सुनीता गोयल, कौशल्या सोनेजा, शारदा खिल्लन, स्वामी जगदीश महाराज के अनुयायी एवं शिष्या महेशी बहन, कृष्णमयी माता, स्वामी रामचंद्र, लेखराज, रमा वोहरा, अश्वनी गौड़, लव गौड़, कमला कालरा, उमा गुलाटी, नेहा बत्रा, रजत तनेजा, ईशवर चन्द्र तनेजा, स्वामी हरिहरानंद भक्त के द्वारा कार्यक्रम को संयोजन किया गया।